Friday, November 22, 2024

विलक्षण है नवागढ़ का मूर्तिशिल्प और पुरा वैभव

राष्ट्रीय विद्वत् संगोष्ठी में विद्वानों ने दूसरे दिन प्रस्तुत किए आलेख
अद्भुत पुरा वैभव है नवागढ़ का : अर्चना जैन सदस्य नीति आयोग

ललितपुर। प्रागैतिहासिक अतिशय क्षेत्र नवागढ़ विकासखंड महरौनी में प्रतिष्ठा पितामह पंडित गुलाबचन्द पुष्प जन्म शताब्दी महोत्सव वर्ष के अन्तर्गत त्रिदिवसीय राष्ट्रीय विद्वत् संगोष्ठी के द्वितीय दिन 15 विद्वानों ने आलेख प्रस्तुत किए। रविवार को राष्ट्रीय विद्वत् संगोष्ठी का शुभारंभ ब्र. जय निशांत भैया जी के निर्देशन में किया गया। सर्वप्रथम चित्र अनावरण व दीप प्रज्ज्वलन मुख्य अतिथि भारत सरकार की नीति आयोग की सदस्य श्रीमती अर्चना जैन एवं विद्वानों ने गया। संचालन संगोष्ठी संयोजक डॉ सुनील संचय ललितपुर ने किया। संगोष्ठी में सुबह और दोपहर के सत्र में अनेक विद्वानों ने अपने शोधालेख प्रस्तुत किए। अध्यक्षता मूर्धन्य विद्वान प्रोफेसर नरेन्द्र जैन गाजियाबाद ने की मुख्य अतिथि के रूप में नीति आयोग की सदस्य अर्चना जैन, सारस्वत अतिथि नरेश पाठक ग्वालियर मंचासीन रहे। मंगलाचरण डॉ मुकेश विमल इंदौर ने किया। इस अवसर पर डॉ मुकेश विमल इंदौर ने पुष्प जी के व्रती जीवन, डॉ आशीष आचार्य सागर ने नवागढ़ की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, डॉ सुनील संचय ललितपुर ने नवागढ़ के अन्वेषक और अन्वेषण, डॉ आशीष शिक्षाचार्य एकलव्य विश्वविद्यालय दमोह ने नवागढ़ में आयोजित पंचकल्याणक, डॉ राजेश शास्त्री ललितपुर ने पुष्प जी की साहित्यिक साधना,डॉ आशीष बम्होरी ने साहित्य के परिपेक्ष्य में नवागढ़, डॉ सरिता जैन संस्कृत विभागाध्यक्ष एकलव्य विश्वविद्यालय दमोह ने नवागढ़ में प्राप्त शैल गुफाएं एवं शैल चित्रों का अध्ययन, डॉ संजय भेलसी ने साधुओं की तपः स्थली नवागढ़ , पंडित सोमचंद्र शास्त्री मैनवार ने तीर्थ का स्वरूप और वतर्मान में इनकी उपादेयता, पंडित श्रवण शास्त्री बंडा, पंडित सुखदेव शास्त्री सागर, पंडित शुभम शास्त्री बड़ामलहरा, डॉ संजय सागर, डॉ मनोज निर्लिप्त अलीगढ़, पंडित सुनील शास्त्री टीकमगढ़, दामोदर सेठ शाहगढ़ आदि ने अपने महत्वपूर्ण आलेख प्रस्तुत किए।
सत्र अध्यक्ष डॉ नरेंद्र जैन गाजियाबाद ने कहा कि प्रागैतिहासिक नवागढ़ क्षेत्र में अन्वेषण के नवीन आयाम स्थापित हो रहे हैं ।आज भारतीय संस्कृति इतिहास एवं पुरा संपदा के संरक्षण एवं साक्ष्यों के रूप में विख्यात हो रहा है। मुख्य अतिथि नीति आयोग की सदस्य श्रीमती अर्चना जैन ने कहा कि विलक्षण है नवागढ़ का मूर्तिशिल्प और पुरा वैभव। यहाँ आकर अद्भुत सुख मिलता है। क्षेत्र के निदेशक ब्र जय कुमार जी निशांत ने कहा कि यहां प्राप्त कलाकृतियां एवं पुरावशेष निश्चित रूप से भारतीय संस्कृति एवं इतिहास की विलक्षण धरोहर हैं। रहस्यमय है नवागढ़ क्षेत्र। नवागढ़ पर एक पीएचडी हो चुकी है, दो पीएचडी अभी हो रहीं हैं। समागत विद्वानों का स्वागत, अभिनन्दन नवागढ़ कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट सनत जैन ललितपुर, महामंत्री वीरचन्द्र जैन नेकौरा, इंजी. शिखरचंद जैन, अबनिश जैन बेंगलुरु, डॉ आलोक जैन रांची, चक्रेश जैन सहित तीर्थक्षेत्र कमेटी नवागढ़ एवं नवागढ़ गुरुकुलम के पदाधिकारियों ने किया। आभार वीरचन्द्र जैन ने व्यक्त किया। इस मौके पर सैकड़ों की संख्या में लोग मौजूद रहे।
गांव वालों की है अटूट आस्था : संगोष्ठी में विद्वानों ने अपने शोधलेखों में कहा कि नवागढ़ में विराजमान मूलनायक भगवान अरनाथ , जो की खुदाई में प्राप्त हुए थे, ग्रामीण जनों की अटूट आस्था है यही कारण है कि जब भी कोई शादी, विवाह आदि मांगलिक कार्य होते हैं तो वह अरनाथ भगवान को श्रीफल जरूर समर्पित करते हैं। उल्लेखनीय है कि ग्राम में एक भी जैन परिवार निवास नहीं करता है। मनोकामना पूर्ण होने के अनेक कथानक ग्रामीण बताते हैं।
मूर्ति विज्ञानी नरेश पाठक ग्वालियर ने कहा कि धार्मिक संबंध में राजनीतिक, सांस्कृतिक , व्यापारिक केंद्र के रूप में नवागढ़ की स्थापना गुप्तकाल में की गई, जिसे प्रतिहार काल में विस्तार दिया गया । चंदेल शासक मदन बर्मन ने यहां धार्मिक सांस्कृतिक विरासत को अत्यंत विस्तार दिया जिसका विवरण कालांजर प्रबोध में दिया गया है ।सन 1289 में हुए युद्ध में पृथ्वीराज चौहान के द्वारा महोबा लासपूर, सलक्षनपुर,दुदही, चांदपुर , मदनपुर के साथ नवागढ़ को भी ध्वस्त किया गया , जिसका उल्लेख डॉक्टर के पी त्रिपाठी ने बुंदेलखंड का इतिहास में विशेष रूप से किया है।
पत्थर बजाने पर संगीतमय ध्वनि निकलती है : पंडित मनीष संजू ने कहा कि जैन पहाड़ी पर एक ऐसा पत्थर मिला है उस पत्थर बजाने पर संगीतमय ध्वनि निकलती है
जैसे संगीत के यंत्र घण्टी, ढोलक आदि बजाई जा रही हो।
सिद्धार्चना में किए 128 अर्घ्य समर्पित :
प्रागैतिहासिक अतिशय क्षेत्र नवागढ़ विकासखंड महरौनी में प्रतिष्ठा पितामह पंडित गुलाबचन्द पुष्प जन्म शताब्दी महोत्सव वर्ष के अन्तर्गत चल रही सिद्धार्चना में रविवारको 128 अर्घ्य भक्ति- श्रद्धा के साथ श्रद्धालुओं ने समर्पित किए।

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