Saturday, September 21, 2024

मारीच की सहायता से रावण ने किया छद्म वेश में सीता का हरण

विराटनगर। कस्बा स्थित रामलीला मैदान में श्री अवधेश कला केंद्र रामलीला मंडल के तत्वावधान में चल रही 15 दिवसीय लीला मंचन में शनिवार को सीता हरण की लीला दिखाई गई। मंडल के महासचिव मामराज सोलंकी ने बताया कि लीला मंचन के दौरान पंचवटी आश्रम पर बैठे हुए श्री राम, लक्ष्मण, और सीता के पास लंकाधिपति रावण की बहन सूर्पनखा आकर उनसे अपनी शादी करने की इच्छा जताई। किंतु राम और लक्ष्मण ने सूर्पनखा से शादी करने से इनकार कर दिया। बार-बार इनकार करने के बाद भी जब सूर्पनखा नहीं मानी तो लक्ष्मण ने शादी से पहले नाक कान भींदने की परंपरा जताकर उसके नाक कान काट डाले। जब इस बात का समाचार खर दूषण को मिला तो वह भी सेना सहित राम के हाथों मर गया। सूर्पनखा ने जब यह सारी व्यथा भाई रावण को सुनाई तो उसे रहा नहीं गया। रावण ने सोचा जब उस अकेले तपसी ने खर दूषण जैसे योद्धा को मार डाला तो निसंदेह किसी नारायण ने अवतार लिया है, अब उससे वैर करना ही अच्छा है, इसलिए क्यों नहीं मायावी मामा मारीच की सहायता से राम की भार्या सीता का हरण किया जाए। यह विचार कर रावण ने मामा मारीच के पास जाकर सारा वृत्तांत सुनाया। मारीच ने कहा कि जिसे तुम साधारण मनुष्य समझते हो ,वह समस्त चराचर का स्वामी है, जिसने ताड़का, सुबाहु, खरदूषण जैसे योद्धाओं को मार गिराया, जिसने मुझे सो योजन दूरी पर फेंका तथा जिसने शिव धनुष को तोड़कर सीता से नाता जोड़ा उससे वैर करना अच्छा नहीं है। परंतु रावण के नहीं मानने पर मारीच ने जो अपना रूप बदलने में माहिर हैं उसने अपना रूप माया मृग बनकर विचरण करते हुए पंचवटी आश्रम पहुंचा, जहां सीता ने देख कर राम से उसे पकड़ने की इच्छा जताई। राम ने सीता की हठ पर मृग का पीछा किया तथा राक्षसों के मायाजाल से बचाओ -बचाओ की आवाज सुनकर सीता ने लक्ष्मण से कहा कि आपके भ्राता अवश्य किसी मुसीबत में है वहां जाकर उनकी मदद करो। लक्ष्मण ने माता सीता से कहा कि यहां राक्षसों और जंगली जानवरों का प्रभाव है, मैं आपको अकेला छोड़कर नहीं जा सकता। परंतु सीता ने लक्ष्मण की बात पर नाराज होकर चिंता जताई। माता की हठ और आज्ञा को मानकर लक्ष्मण ने सीता को कुटि से बाहर नहीं निकलने की हिदायत देकर अपनी लक्ष्मण रेखा खींचकर कहा कि जो इस रेखा को पार करेगा वह यही भस्म हो जाएगा। यह कहकर भ्राता राम को ढूंढने चला गया वंही मौका देख कर रावण ने अपने जोगी वेश में आकर सीता से भिक्षा देने की बात कही। सीता द्वारा कुटि से भीक्षा देने पर, रावण ने जैसे ही लक्ष्मण द्वारा खींची रेखा पर अपना पांव बढ़ाया , अग्नि उत्पन्न होते देखकर अपनी मौत से घबरा गया। और सीता से कहा यदि भीक्षा देनी है तो कुटि से बाहर आकर देवो अन्यथा वह खाली हाथ लौटकर ही चला जाएगा। सीता से रहा नहीं गया और जैसे ही सीता ने लक्ष्मण रेखा का उल्लंघन कर भीक्षा देना चाहा, रावण ने सीता का हरण कर लिया। लीला मंचन के दौरान मां दुर्गा की भव्य झांकी सजाई गई जिसमें आगंतुक अतिथि मनोज शर्मा, वाइस चेयरमैन रामेश्वर यादव, धर्मेंद्र योगी, बजरंग लाल स्वामी, संजय स्वामी, लीलाराम मेहरा, भेरूलाल सैनी, इंद्रमणि शर्मा, रमेश यादव, मुन्ना लाल मधुर, मामराज मीणा ने मां दुर्गा की आरती उतारी। मंडल के सदस्यों द्वारा अतिथियों का दुपट्टा ओढाकर तथा प्रतीक चिन्ह देखकर सम्मान किया।

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