सुनिल चपलोत/चैन्नई। मोक्ष प्राप्ति का साधन है, धर्म शुक्रवार साहुकारपेट जैन भवन मे महासती धर्म प्रभा ने नवदिवस ओलीजी पर श्रीपाल चारित्र का विवेचन करते हुए सभी श्रध्दांलुओ से कहा कि धर्म की शरण मे जो आता वह भव पार हो जाता है। धर्म की शरण के बिना मनुष्य संसार के दुखों से छुटकारा प्राप्त नहीं कर पाएगा। धर्म ही संसार मे एक ऐसा अकेला मार्ग जिसे जानकर मनुष्य अपनी आत्मा को पहचान सकता है और अपने सम्पूर्ण दुखों को धर्म के माध्यम से जानकर आत्मा पर झमे अशुभ कर्मो के बंधन को धर्म की शरण से तोड़कर आत्मा को मोक्ष दिला सकता है। साध्वी स्नेहप्रभा ने प्रभु महावीर की अंतिम देशना श्री उत्ताराध्यय सूत्र के तीसरे अध्याय तइअं अज्झयणं चाउरंगिज्जं का वांचन करतें हुए बताया परमात्मा की वितराग वाणी अमृत के समान है। जो हमारे मन को शांत और आत्मा को शीतलता प्रदान करती है श्रध्दां और विश्वास जो मनुष्य जीनवाणी का श्रवण करता है और धर्म के मार्ग पर चलता वह व्यक्ति ही जीवन शास्वत सुखो को प्राप्त करके अपनी आत्मा को संसार से मुक्ति दिलवा सकता है। साहुकारपेट श्रीसंघ के कार्याध्यक्ष महावीर चन्द सिसोदिया ने जानकारी देतें हुए बताया इसदौरान साध्वी धर्मप्रभा की प्रेरणा से श्री पाश्र्व पद्मावती के एकासन तप करने वाली अस्सी से अधिक बहनों के तप सम्पूर्ण होने साहुकारपेट श्री एस.एस.जैन संघ के अध्यक्ष एम.अजितराज कोठारी मंत्री हस्तीमल खटोड़, शम्भूसिंह कावड़िया,अशोक सिसोदिया,ज्ञानचन्द चौरड़िया,संजय खाबिया, जंवरीलाल कटारिया आदि ने एकासन तप की अनूमोदना करते हुए सभी बहनों का साध्वी मंडल के सानिध्य में सम्मान किया गया।