सुनिल चपलोत/चैन्नई। प्रतिकूल और अनूकूल परिस्तिथियो में तटस्थ रहने वाला व्यक्ति ही सफलता को प्राप्त करता है। गुरूवार साहुकारपेट जैन भवन में महासती धर्मप्रभा ने श्रोताओं को धर्म उपदेश प्रदान करतें हुए कहा कि हर व्यक्ति के जीवन में निराशा एवं प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना ही पड़ता है,लेकिन सफल और सार्थक जीवन वही है,जो सफलता और असफलता अनुकूलता और प्रतिकूलता,दुख और सुख,हर्ष और विषाद के बीच संतुलन स्थापित करते हुए अपने चिंतन की धारा को सकारात्मक बनाए रखता है तो वह जीवन की समग्र समस्याओं का व्यक्ति चिंतन और मनन के द्वारा समाधान खोज सकता है। विषम परिस्थितियों मे जीवन मे कृष्ट आ जाने के बावजूद ऐसा व्यक्ति हिम्मत नहीं हार है और वह सफलता प्राप्त करता है। मनुष्य की आत्म शक्ति कमजोर नही है और इच्छा शक्ति संकल्प और दृष्टिकोण सही है तो मनुष्य जीवन मे विपरीत और कठिन समय को भी वह सही समय मे बदल सकता है।साध्वी स्नेहप्रभा ने साध्वी स्नेहप्रभा ने उत्ताराध्यय सूत्र के दुसरें अध्याय बीयं अज्झयणं परीससह पविभत्ती पाठ का वांचन करते हुए कहा कि सुख और दुःख जीवन मे धूप छांव की तरह है। आज दुःख है तो कल सुख है कर्मो के आधार पर जीवन मे सुख दुख आते है जीवन में कृष्ट आने बावजूद जो.व्यक्ति चलायमान नहीं होता है वही इंसान परिक्रत बन जाता है और फर्श से शिखर को छूता है। साहुकारपेट श्री संघ के कार्याध्यक्ष महावीर चन्द सिसोदिया ने जानकारी देते हुए बताया की अनेक भाई और बहनों ने साध्वी वृंद से तप त्याग आदि के प्रत्याख्यान लिए। तपस्या के प्रत्याख्यान लेने वालो और धर्मसभा मे पधारे मदनलाल लोढ़ा एवं अन्य अतिथियों का श्री एस.एस.जैन संघ के अध्यक्ष एम.अजितराज कोठारी मंत्री सज्जनराज सुराणा, शम्भूसिंह कावड़िया पृथ्वीराज वागरेचा, जंवरीलाल कटारिया,पृथ्वीराज नाहर,दीपचन्द कोठारी आदि सभी ने तपस्यार्थी और अतिथियों का स्वागत किया।