रूप रजत विहार में तप, त्याग व साधना के साथ मनाया गया श्रीजैनमतिजी म.सा. का 106वां जन्मदिवस
भीलवाड़ा। किसी भी साध्वीजी के लिए उनकी गुरूणी मैया के जन्मदिन पर इससे श्रेष्ठ उपहार नहीं हो सकता था कि जहां संघ-समाज गुरूणीजी का गुणानुवाद कर रहा वहीं संघ के आचार्य प्रवर द्वारा उनकी सुशिष्या को पदवी से अलंकृत करने के साथ आदर की चादर समर्पित की जाए। सोने पर सुहागा की अवधारणा साकार करता हुआ ये नजारा गुरूवार को शहर के चन्द्रशेखर आजादनगर स्थित रूप रजत विहार स्थानक में प्रस्तुत हुआ जहां मरूधरा मणि महासाध्वी श्रीजैनमतिजी म.सा. के 106वें जन्मदिवस के शुभ अवसर पर आयोजित गुणानुवाद समारोह में श्रमण संघीय आचार्य सम्राट डॉ. शिवमुनिजी म.सा. द्वारा यहां चातुर्मास कर रही उनकी सुशिष्या महासाध्वी इन्दुप्रभाजी म.सा. को वात्सल्यमूर्ति पद से अलंकृत करने की घोषणा की गई। चातुर्मास आयोजक श्री अरिहन्त विकास समिति के अध्यक्ष राजेन्द्र सुकलेचा ने समारोह में इस बारे में आचार्यश्री से मिले मंगल संदेश का वाचन किया। जैसे ही इन्दुप्रभाजी म.सा. को वात्सल्यमूर्ति से अंलकृत करने की घोषणा हुई प्रवचन हॉल हर्ष-हर्ष, जय-जय ओर महासाध्वी इन्दुप्रभाजी की जय जैसे जयकारों से गूंजायमान हो उठा। आचार्यश्री द्वारा वात्सल्यमूर्ति पद की घोषणा से अलंकृत करने सम्बन्धी मंगल संदेश पत्र के साथ भिजवाई गई आदर की चादर श्री अरिहन्त विकास समिति के अध्यक्ष राजेन्द्र सुकलेचा, मंत्री सुरेन्द्र चौरड़िया, संगठन मंत्री नवरतन बापना, उपाध्यक्ष वीरेन्द्रसिंह कोठारी, अनिल ढाबरिया, कोषाध्यक्ष गणपत कुमठ, बेंगलूरू से पधारे जैन कॉन्फ्रेंस युवा शाखा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष मनोज सोलंकी, पाली निवासी गौतमचंद दुग्गड़, सथाना निवासी लादूसिंहजी आदि ने महासाध्वी इन्दुप्रभाजी म.सा. को समर्पित की। समर्पित करने से पूर्व आदर की चादर श्रावक-श्राविकाओं के मध्य घुमा उन्हें भी हाथ लगा इस कार्य में सहभागिता का सुअवसर दिया गया। इसके बाद केसरिया-केसरिया आज है म्हारों मन केसरिया की गूंज के बीच साध्वी मण्डल ने उन्हें ये चादर ओढ़ाई। समिति के अध्यक्ष सुकलेचाजी ने कहा कि 43 वर्ष से संयम साधना कर रहे पूज्य इन्दुप्रभाजी म.सा. को आचार्यश्री द्वारा वात्सल्यमूर्ति पद से अलंकृत करने से रूप रजत विहार में पहले ही चातुर्मास में चार चांद लग गए ओर ये हमेशा यादगार रहेगा। उन्होंने कहा कि सहजता, सरलता व सादगी की प्रतिमूर्ति महासाध्वीजी की गुरूणीजी के जन्मदिवस पर इससे श्रेष्ठ उपहार श्रीसंघ उनके चरणों में समर्पित नहीं कर सकता था। छोटे बच्चों से लेकर बुर्जुग तक हर प्राणी के प्रति उनके मन में प्रेम, करूणा व वात्सल्य भाव समाए हुए है। समारोह में आगम मर्मज्ञा डॉ. चेतनाश्रीजी म.सा. ने पूज्य जैनमतिजी म.सा. के प्रेरणादायी जीवन व गुणों की चर्चा करते हुए इस बात पर खुशी जताई कि उनके जन्मदिन पर उनकी सुशिष्या इन्दुप्रभाजी म.सा. को श्रमण संघ द्वारा वात्सल्यमूर्ति पद से अलंकृत किया गया है। उन्होंने कहा कि इस तरह की उपाधि प्रदान कर आचार्यश्री ने कृपा की है एवं बहुत-बहुत अनुमोदना करते है। मधुर व्याख्यानी डॉ. दर्शनप्रभाजी म.सा. ने कहा कि पूज्य जैनमतिजी म.सा. के जन्मदिन पर गुरूणी इन्दुप्रभाजी को वात्सल्यमूर्ति पद से अलंकृत करना सपना साकार होने के समान है। उन्होंने अपनी गुरूणीजी व बुर्जुग महासाध्वियों की जो सेवा की है वह सदा प्रेरणादायी रहेगी। सरलमना महासाध्वी इन्दुप्रभाजी म.सा. ने कहा कि आचार्यश्री ने वात्सल्यमूर्ति का जो अंलकरण प्रदान किया है वैसे तो नहीं है लेकिन उस अनुरूप बनने का प्रयास करेंगे। उन्होंने अपनी गुरूणी मैया जैनमतिजी म.सा. के गुणों की चर्चा करते हुए कहा कि उनके गुण शब्दों में बयां करना आसान नहीं है। गुणानुवाद समारोह में तत्वचिंतिका डॉ. समीक्षाप्रभाजी म.सा. ने जैनमतिजी म.सा. महान है जिनशासन की शान है भजन प्रस्तुत करने के साथ उन पर रचित चालीसा की भी प्रस्तुति देते हुए कहा कि ऐसी महान महासतीजी का जितना गुणानुवाद करे कम होगा। आदर्श सेवाभावी दीप्तिप्रभाजी म.सा. एवं तरूण तपस्वी हिरलप्रभाजी म.सा. ने भजन के माध्यम से पूज्य जैनमतिजी म.सा. के प्रति भावाजंलि अर्पित की। प्रवचन से पूर्व जैनमतिजी म.सा. को जाप के माध्यम से श्रद्धासुमन अर्पित किए गए।
श्रावक-श्राविकाओं ने अर्पित की जैनमतिजी म.सा. को भावांजलि
मरूधरा मणि पूज्य जैनमतिजी म.सा. के 106वें जन्मदिवस पर तीन दिवसीय समारोह के अंतिम दिन गुरूवार को गुणानुवाद समारोह में श्रावक-श्राविकाओं ने भी विचारों व गीतों के माध्यम उनके प्रति मन की भावनाओं का इजहार करते हुए भावाजंलि अर्पित की। इनमें सुश्राविका सुनीता सुकलेचा, निशा हिंगड़, हीराबाई पोसवालिया, मनोज सोलंकी, लादूसिंहजी आदि शामिल थे। अतिथियों का स्वागत श्री अरिहन्त विकास समिति के अध्यक्ष राजेन्द्रजी सुकलेचा एवं अन्य पदाधिकारियों द्वारा किया गया। इस अवसर पर तीन दिवसीय एकासन व आयम्बिल की संयुक्त तेला तप आराधना करने वाले श्रावक-श्राविकाओं को प्रभावना पाली निवासी गौतमचंदजी दुग्गड़ एवं परिवार द्वारा प्रदान की गई। समारोह का सचंालन युवक मण्डल के मंत्री गौरव तातेड़ ने किया। जयंति महोत्सव के उपलक्ष्य में प्रवचन में तीनों दिन 11-11 लक्की ड्रॉ भी निकाले गए। समारोह में भीलवाड़ा के विभिन्न क्षेत्रों से बड़ी संख्या में पधारे श्रावक-श्राविकाओं के साथ पाली, बेंगलूरू, बिखरणिया, सथाना, बिजयनगर, बारडोली आदि स्थानों से पधारे श्रावक भी मौजूद थे।