विराटनगर। श्री रामलीला मैदान में श्री अवधेश कला केंद्र रामलीला मंडल के तत्वावधान में चल रही 15 दिवसीय रामलीला मंचन में बुधवार को राम वनवास की लीला दिखाई गई। इस दौरान महाराजा दशरथ ने अपने चौथेपन को देखते हुए श्री राम को राज सिंहासन पर बिठाने का विचार कर गुरु वशिष्ठ से आज्ञा ली, लेकिन राक्षसों के बढ़ते प्रभाव को देखकर विधाता ने कुटिल मंथरा की बुद्धि का हरण कर कैकेई को उकसाया गया। रानी कैकेई ने मंथरा की बातों में आकर कोप भवन में जाकर अपना स्वांग रचा। राजा को जब इस बात का मालूम चला तो उन्होंने रानी से इसका कारण पूछा। कैकेई ने मौका देखकर धाती के रूप में रखे हुए अपने दोनों वर मांग लिए, जिसमें पहली बार में भगवान श्री राम की जगह भरत का राजतिलक तथा दूसरे में भगवान श्री राम को 14 वर्षों का वनवास। इस बात को सुनकर राजा अत्यंत ही व्यतीत हुई है। परंतु अपने सूर्यकुल की आन को देखते हुए, दिए हुए वर से विचलित नहीं हुए। राजा ने रानी पर विश्वास कर बहुत ही पश्चाताप किया परंतु यह सब विधाता की लीला थी।
इससे पूर्व दिन में भगवान राम सहित चारों भाइयों के विवाह की भव्य शोभायात्रा गाजे बाजे , घोड़ी और शाही लवाजमा के साथ निकाली गई। जिसके तहत गणगौरी चौक में वर माला का भव्य कार्यक्रम संपन्न हुआ। इस दौरान जगह-जगह पुष्प वर्षा कर आरती उतारी गई ।शोभा यात्रा बस स्टैंड बगीची से प्रारंभ होकर मुख्य मार्गो से होती हुई रामलीला स्थल तक पहुंची। जिसमें मंडल के सदस्य तथा सैकड़ो महिलाओं सहित अनेक श्रद्धालुओं ने भाग लिया।