बच्चों की पहली पाठशाला संस्कार जननीं मां होती है: आचार्यश्री
अशोकनगर। समवशरण महा मंडल विधान एवं विश्व शांति महायज्ञ में तीसरे दिन श्री विद्यासागर सर्वोदय पाठशाला के कलशो की स्थापना आचार्यश्री आर्जव सागर जी महाराज ससंघ के सान्निध्य में प्रतिष्ठा चार्य प्रदीप भइया एवं मुकेश भइया के मंत्रोच्चार के बीच की गई। इसके पहले मंगलाष्टक के साथ विश्व शांति महायज्ञ का प्रारंभ हुआ जहां भगवान के अभिषेक के साथ ही जगतकल्याण की कामना के लिए महाशान्तिधारा प्रमुख पात्रों के साथ भक्तों द्वारा की गई।
पूर्व के कलशो को समिति ने किया भेंट
इस दौरान मध्य प्रदेश महासभा संयोजक विजय धुर्रा ने कहा कि पूर्व में भी प्रतिष्ठा चार्य प्रदीप भइया के मार्गदर्शन में पाठशाला के कलशो की स्थापना मुनि राजो के सान्निध्य की गई थी तीन वर्ष बाद भी भइयाजी आज कलशो की स्थापना आचार्यश्री आर्जवसागर महाराज ससंघ के सान्निध्य में करा रहे हैं। आज हम पूर्व में स्थापित कलश राजेन्द्र कुमार, अशोक कुमार, टिंगूमिल अध्यक्ष थूवोनजी कमेटी, राजीव कुमार, मौसम कुमार चन्देरी, सुमत कुमार अखाई अध्यक्ष पाठशाला कमेटी, संजीव कुमार, मनोज कुमार, महावीर स्वीट्स को कलश भेंट कर रहे हैं।
नवीन कलशो की स्थापना की गई
इस दौरान प्रदीप भइया ने कहा कि एक टिकिट में दो दो मजा आपको वोनस में मिल रहें हैं। नवीन कलशो की स्थापना करने का सौभाग्य प्रथम कलश सौभाग्य चक्रवर्ती परिवार से आनंद कुमार, धर्मेन्द्र कुमार रोकड़िया, द्वितीय कलश तामिल नाडु के श्रावक श्रेष्ठी वीडीयोअरहदास, तृतीय कलश विद्या सागर पाठशाला कमेटी के अध्यक्ष सुमत कुमार सुनील कुमार अखाई ने प्राप्त किया। इनका सम्मान कमेटी के अध्यक्ष राकेश कासल, महामंत्री राकेश अमरोद, थूवोनजी कमेटी अध्यक्ष अशोक जैन टिंगूमिल, पाठशाला के कोषाध्यक्ष प्रसन्न मोदी सहित अन्य पदाधिकारी द्वारा किया गया।
नाटक की भव्य प्रस्तुति में राक्षसों को राम लक्ष्मणजी ने किया दूर
समवशरण महा मंडल विधान के दौरान उमर गांव महाराष्ट्र के कलाकारों द्वारा भव्य नाटक की प्रस्तुति की गई । इस दौरान कुलभूषण देशभूषण के वैराग्य को मंचित किया गया इसमें दो राजकुमार आश्रम में शिक्षा ग्रहण कर राज महलों की ओर लौटते समय अपने महल के झरोखे से देख रही राजकुमारी को देख कर मोहित हो जाते हैं और आपस में झगड़ने लगते हैं एवं उन्होंने मंत्री बताते है कि ये महल आपका ही है और जो कन्या आप देख रहे हैं ये आपकी बहन है ये सुनकर गिलानी से भर वैराग्य को प्राप्त कर बहुत समझाने के बाद भी ब न की ओर चल देते हैं जहां उन पर तपस्या के दौरान राक्षसों का उपसर्ग देख वनवास के दौरान श्री राम लक्ष्मण जी अपने धनुष की टंकार से राक्षसों को भगा कर उपसर्ग दूर करते हैं । इस नाटक से आपसी संबंधों की समझ को बहुत सुंदर तरीके से प्रस्तुत किया है और संस्कृति और संस्कार की शिक्षा दी गई।
डरावने दृश्य देखने से गर्भवति माताओं को बचना चाहिए
इस अवसर पर धर्म सभा को संबोधित करते हुए आचार्य श्री आर्जव सागर जी महाराज ने कहा कि संस्कारो की जननी मां है मां के गर्भ में रहते ही बच्चों को संस्कार मिलने लगते हैं माता गर्भावस्था में यदि डरावने दृश्य देखकर डरती है तो इसका गर्भ में पल रहे बच्चे पर विपरीत असर पड़ता है इसलिए लिए गर्भावस्था के दौरान माताओं को सावधानी रखनी चाहिए मां बनना कोई मजाक नहीं है। गर्भावस्था के दौरान मां की आंख लग गई और कीमत अभिमन्यु को अपने प्राण देकर चुकानी पड़ी बात यहां संस्कारो की हो रही थी और आपकी आपकी पाठशाला में वहने निशुल्क सेवा देते हुए बच्चों को धर्म के संस्कार दे रही है बहुत अच्छा कार्य है। आपको भी सभी को इनका उत्साह वर्धन करना चाहिए ।आज तमिलनाडु के श्रावको ने कलश स्थापित करने का सौभाग्य प्राप्त किया बहुत अच्छी बात है।
छोटे सा भी नियम ले तो उसका पूरी लगन से पालन करें
उन्होंने कहा कि संस्कारो की असली जननी मां ही है हमने हजारों वच्चो को संस्कार दिए है दक्षिण भारत में वच्चो को मोजी वंधन क्रिया चलतीं है संस्कार देने कि दक्षिण की परम्परा चलती है। इस में मूल भावना है कि हम अपनी संस्कृति को संस्कार के रूप में समझकर अपने जीवन में उतारें। इसमें भी चारों प्रकार के रात्रि भोजन का कुछ छूट रखकर कर सकते हैं उन्होंने कहा कि नियम जितनी कठोरता से पालन करने है उतना ही उत्कृष्ट पुण्य को प्राप्त करते चले जाते हैं वैसे ही ऊंचे ऊंचे स्वार्ग को प्राप्त करते चले जाते हैं जो भी नियम आप ले भले ही नियम छोटा हो कोई बात नहीं लेकिन जो भी नियम ले पूरी लगन से उसका पालन करेंगे तो आपको उसका पूरा फल मिलेगा।