सुनिल चपलोत/चैन्नई। मोक्ष की प्राप्ति का चरण है सम्यक ज्ञान।मंगलवार साहुकारपेट जैन भवन में महासती धर्मप्रभा ने आयोजित धर्मसभा में श्रद्धालुओं को सम्बोधित करतें हुए कहा कि मनुष्य ने ज्ञान प्राप्त कर लिया और आचरण मे बदलाव और सुधार नहीं आता है तो उसका समस्त ज्ञान और चारित्र मिथ्या है और उसके ज्ञान का कौई भी मतलब और अर्थ नहीं है। जैसे अंक बिना बिन्दुओं की लम्बी लकीर बना देने पर भी,उसका कोई अर्थ नहीं निकलता है। उसी प्रकार ज्ञान आ जाए और आचरण और चारित्र में हमारे बदलाव नहीं आता है तो ज्ञान का कौई मतलब नहीं है ज्ञान और चारित्र के बिना आत्मा को मोक्ष नहीं मिलता है ज्ञान और चारित्र जो मनुष्य प्राप्त कर लेता है उसका ज्ञान सम्यक ज्ञान बन जाता है वही आत्मा संसार से मोक्ष प्राप्त कर सकती है। साध्वी स्नेहप्रभा ने उत्ताराध्यय सूत्र के बतीस अध्याय की दुसरी गाथा का वर्णन करतें हुए कहा कि सम्यक दर्शन अर्थात धर्म को जानना,सम्यक ज्ञान अर्थात धर्म को मानना और सम्यक चरित्र अर्थात जाने माने हुए धर्म मार्ग की ओर बढ़ना।इस तीनों के समावेश के बाद ही व्यक्ति अपनी आत्मा को मोक्ष दिलवा सकता है। किताबी ज्ञान प्राप्त कर लेने से सम्यक ज्ञान प्राप्त नहीं होता है धर्म को जाने पर ही मनुष्य सम्यक ज्ञान प्राप्त करके अपने जीवन का निर्माण और आत्मा का उत्थान करवा सकता है। साहुकार पेट श्री संघ कार्याध्यक्ष महावीर चन्द सिसोदिया ने जानकारी देते हुए बताया धर्मसभा में अनकें भाई बहनों की उपस्थिति में राजस्थान ब्यावर के भगवान पार्श्वनाथ जैन होस्पिटल के अध्यक्ष जंवरीलाल सिसोदिया और जोधपुर समाज सेवी विरेन्द्र कोठारी का साहुकारपेट श्री एस.एस.जैन संघ के मंत्री सज्जन राज सुराणा,हस्तीमल खटोड़,शम्भू सिंह कावड़िया, पृथ्वीराज वाघरेचा,विजयराज दुग्गड़ आदि सभी ने बाहर पधारें सिसोदिया और कोठारी का आतिथ्य सत्कार करते हुए शोलमाला पहनाकर स्वागत किया। मंगलवार से प्रतिदिन 8:30 से 10:00 बजे तक भगवान महावीर स्वामी की अंतिम देशना उत्ताराध्यय सूत्र का सताईस दिनों तक मूल एवं अर्थ सहित.महासती धर्मप्रभा जी द्वारा जैनभवन साहुकारपेट वांचन किया जाएगा।