गुंसी, निवाई। श्री दिगम्बर जैन सहस्रकूट विज्ञातीर्थ गुन्सी की पावन धरा पर दस दिवसीय महार्चना एवं विश्वशांति महायज्ञ जाप्यानुष्ठान के दूसरे दिन प्रातःकालीन अभिषेक शान्तिधारा का सौभाग्य पुण्यार्जक परिवारों ने प्राप्त किया। दोपहर 12 बजे से श्री नवग्रह महार्चना करने का सौभाग्य पुण्यार्जक सतीश बिंदायका निर्माण नगर जयपुर व राजेश बंटी झांझरी निवाई को मिला। निवाई समाज ने एकत्रित होकर प्रतिष्ठाचार्य विमल बनेठा व संगीतकार के संगीत की धुन पर सभी भक्तों ने आनंदित होकर प्रभु शांतिनाथ के चरणों की भक्ति की। प्रभु की भक्ति के लिए निवाई ही नहीं अपितु जयपुर, चाकसू आदि आस- पास के सभी भक्तों ने सम्मिलित होकर आराधना की। गणिनी आर्यिका विज्ञाश्री माताजी ने सभी को सम्बोधन देते हुए कहा कि – भक्ति में ही शक्ति है। भक्ति के माध्यम से विपरीत से विपरीत परिस्थितियों को भी अनुकूल बनाया जा सकता है। मैना सुंदरी ने भक्ति के द्वारा 700 कोढियों का कुष्ट रोग दूर किया था। सीता सती ने अग्नि का जल बनाया था। बस भक्ति के साथ जरूरत है श्रद्धा की। श्रद्धा के साथ कि गई भक्ति अवश्य फलीभूत होती है। इस भक्ति के द्वारा ही हम अपने कर्मों का क्षय करके एक दिन अपने असली स्वरूप को प्राप्त कर भगवान बन जाएंगे।