Friday, November 22, 2024

इंसान का मर्यादाविहीन जीवन बन जाता दुःख का कारण: इन्दुप्रभाजी म.सा.

इच्छाओं को सीमित कर लिया तो जीवन का हो जाएगा कल्याण: दर्शनप्रभाजी म.सा.

सुनील पाटनी/भीलवाड़ा। मर्यादा के बिना सुखी जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। मर्यादाविहीन जीवन दुःख का कारण बन जाता है। रामायण के पात्रों से सीख सकते है जीवन में मर्यादा किस तरह रखनी चाहिए। उसका हर चरित्र मर्यादा की सीख प्रदान करने वाला है। हमारे परिवार ओर समाज हर जगह मर्यादा रहने पर प्रगति होगी ओर मर्यादाओं की पालना नहीं होने पर मुश्किले उत्पन्न होती है। ये विचार भीलवाड़ा के चन्द्रशेखर आजादनगर स्थित रूप रजत विहार में सोमवार को मरूधरा मणि महासाध्वी श्रीजैनमतिजी म.सा. की सुशिष्या महासाध्वी इन्दुप्रभाजी म.सा. ने नियमित चातुर्मासिक प्रवचन के दौरान जैन रामायण का वाचन करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि किस तरह राम वन में जा रहे होते है तो सीता तुरन्त साथ जाने के लिए तैयार हो जाती है। वहीं भाई लक्ष्मण भी साथ नहीं छोड़ना चाहते है। सभी एक दूसरे के लिए त्याग करने की भावना रखते है। धर्मसभा में मधुर व्याख्यानी डॉ. दर्शनप्रभाजी म.सा. ने कहा कि इच्छाएं अनंत होती है वह कभी पूर्ण नहीं होती। एक इच्छा पूरी होते ही दूसरी इच्छा जन्म ले लेती है। ऐसे में इच्छाओं का दास बनने की बजाय उन्हें अपनी दासी बनाए। जीवन में इच्छाएं सीमित ओर नियंत्रित करना सीख गए तो कल्याण के पथ पर आगे बढ़ जाएंगे। इच्छाओं के गुलाम बने रहने पर जीवन में दुःख ओर कष्ट ही मिलने वाले है। उन्होंने कहा कि जीवन में वहीं सफल बने जिन्होंने इच्छाओं को सीमित कर लिया या इच्छाओं पर विजय प्राप्त कर ली। जो इच्छाओं के दास बने रहे वह कभी सफल नहीं हो पाए। धर्मसभा में आदर्श सेवाभावी दीप्तिप्रभाजी म.सा. ने भजन की प्रस्तुति देने के साथ अधिकाधिक जिनवाणी श्रवण कर धर्म प्रभावना करने की प्रेरणा दी। धर्मसभा में आगम मर्मज्ञा डॉ. चेतनाश्रीजी म.सा., तत्वचिंतिका डॉ. समीक्षाप्रभाजी म.सा., तरूण तपस्वी हिरलप्रभाजी म.सा. आदर्श सेवाभावी दीप्तिप्रभाजी म.सा. आदि ठाणा का सानिध्य भी रहा। धर्मसभा में आसीन्द से पधारे सुश्रावक गौतम चौधरी, राजेन्द्र जैन आदि अतिथियों का स्वागत श्री अरिहन्त विकास समिति द्वारा किया गया। संचालन युवक मण्डल के मंत्री गौरव तातेड़ ने किया। समिति के अध्यक्ष राजेन्द्र सुकलेचा ने बताया कि नियमित चातुर्मासिक प्रवचन प्रतिदिन सुबह 8.45 बजे से 10 बजे तक हो रहे है। चातुर्मासकाल में रूप रजत विहार में प्रतिदिन सूर्योदय के समय प्रार्थना, दोपहर 2 से 3 बजे तक नवकार महामंत्र का जाप हो रहा है।

महासाध्वी जैनमतिजी म.सा. की जयंति पर तीन दिवसीय आयोजन कल से

मरूधरा मणि महासाध्वी श्रीजैनमतिजी म.सा. की 106वीं जयंति 19 अक्टूबर तक मनाई जाएगी। इसके उपलक्ष्य में मंगलवार से एकासन एवं आयम्बिल का संयुक्त तेला तप के साथ पूज्य महासाध्वी इन्दुप्रभाजी म.सा. के सानिध्य में तीन दिवसीय आयोजन होंगे। इसके तहत 17 अक्टूबर मंगलवार को श्री घंटाकर्ण महावीर स्रोत का जाप, दो-दो सामायिक एवं एकासन दिवस मनाया जाएगा। इसी तरह 18 अक्टूबर को णमोत्थुणं का जाप, दो-दो सामायिक एवं आयम्बिल दिवस मनाया जाएगा। इसी तरह 19 अक्टूबर को गुणानुवाद के साथ तीन-तीन सामायिक एवं एकासन दिवस मनाया जाएगा। इन तीनों दिन प्रवचन में 11-11 लक्की ड्रॉ निकाले जाएंगे। महासाध्वी इन्दुप्रभाजी म.सा. ने बताया कि भगवान महावीर स्वामी की अंतिम देशना उत्तराध्ययन सूत्र की 21 दिवसीय आराधना 24 अक्टूबर से 13 नवम्बर तक चलेगी। इसके माध्यम से उत्तराध्ययन सूत्र के 36 अध्यायों का वाचन भी पूर्ण किया जाएगा। नवपद ओली आयम्बिल आराधना 20 से 28 अक्टूबर तक होगी।

- Advertisement -spot_img

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest article