सुनिल चपलोत/चैन्नई। बड़ों की सेवा और सानिध्य प्राप्त करने वाला व्यक्ति जीवन में कभी भी भटक नहीं सकता है। सोमवार साहुकारपेट जैन भवन महासती धर्मप्रभा ने श्रध्दांलूओ को सम्बोधित करते हुए कहा कि मनुष्य जीवन मे छोटीसी उपल्ब्धि मिल जाने पर अपने आप को भगवान समझने लग जाता है और अपनें मां बाप और गुरु के उपकारो को भूलकर उनका तिरस्कार और अपमान करने वाला व्यक्ति जीवन मे कितनी भी सफलता प्राप्त कर लेवें। उस इंसान को परमात्मा भी माफ करने वालें नहीं है। जिस मनुष्य ने अपने मां बाप और गुरू की सेवा की उसके जीवन में कितनी भी आपत्ति और विपत्ति एवं संकट आ जाए वह जीवन मे कभी असफल नहीं हो सकता है क्योंकि बुजुर्गों से प्राप्त कि गई शिक्षा और अनुभव से वह संकट मे भी सही मार्ग खोज लेगा। और जो व्यक्ति अपने बड़ो और परिवार अपमान करता और उन्हें दुखः देता है ऐसा व्यक्ति कभी भी किसी का भला नहीं कर सकता है। सेवा करने वाला इंसान ही आगे बढ़ता और जीवन मे सपलता को प्राप्त करता है। साध्वी स्नेहप्रभा उत्ताराध्यय सूत्र के श्लोक का वर्णन करतें हुए बताया कि सेवा करने वाले मनुष्य की भगवान भी रक्षा करते है उसे चिंता करने की चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि सेवा फल बड़ा होता है। बड़ों के प्रति आदर और सम्मान कि भावना होगी ऐसा इंसान ही सेवा करता है और ऊंचाइयों को छूता है। साहुकारपेट श्री संघ के कार्याध्यक्ष महावीर चन्द सिसोदिया ने जानकारी देतें हुए बताया कि दिनांक 18 अक्टूबर से 13 नवम्बर तक साहुकारपेट जैन भवन मे प्रातः 8:30 से भगवान महावीर स्वामी की अंतिम देशना उत्ताराध्यय सूत्र का महासती धर्मप्रभा जी द्वारा वांचन प्रांरभ किया जाएगा। धर्मसभा में अनेक बहनो और बच्चों ने छोटे बड़े प्रत्याख्यान लिए, उन सभी का श्री संघ के मंत्री सज्जनराज सुराणा, शम्भू सिंह कावड़िया, जवरीलाल कटारिया, पृथ्वीराज वाघरेचा तथा महिला मंडल की बहनों ने त्याग प्रत्याख्यान लेने वालो का स्वागत किया गया।