टीकमगढ़। नगर की पारस विहार कालोनी के जैन मंदिर मे विगत वर्ष की भांति इस वर्ष भी बड़े धूमधाम हर्षोल्लास उमंग के साथ पारस विहार कॉलोनी के जैन मंदिर में विजारित शनि अरिष्ट, निवारक, विघ्न विनाशक, शांति प्रदायक मूलनायक भगवान श्री 1008 मुनिसुव्रतनाथ जी का महामस्तिकाभिषेक परम पूज्य श्रमनोपाध्याय श्री विकसंत सागर जी महाराज के ससंघ मंगल पावन सानिध्य में किया गया।प्रातःकाल ध्वाजारोहण, नित्य नियम सामूहिक अभिषेक शांतिधारा, महामस्तकाभिषेक चित्र अनावरण, गुरुदेव का पाद प्रक्षालन, शास्त्र भेंट आदि कार्यक्रम आयोजित किये गये।तत्पश्चात पूज्य महाराज श्री ने धर्म सभा को सम्बोधित करते हुये कहा कि संसार में प्राणियों को संयोग-वियोग लाभ-अलाभ सुख-दुख तथा मान अपमान अवश्य ही होते हैं। अब चिंतवान करो कि संसार में सुख कितना है और दुख कितना है फिर भी कर्म का ही उदय कह सकते हैं कि ऐसा आशुभ कर्म का उदय चल रहा है उसके भाव कल्याण के नहीं हो रहे हैं। कौन नहीं जानता कि इसमें सुख नहीं है? सुखाभास् है? कौन नहीं जानता के परिवार के लोग स्वार्थी हैं? कौन नहीं जानता कि इसमे सुख अल्प है? और दुख अधिक है? कौन नहीं जानता कि संसार में संसारी जीवो को श्राणिक सुख है। सभी का वात्सल्य भोजन की व्यवस्था महावीर विहार कॉलोनी एवं पारस विहार कॉलोनी समाज की ओर रखी गई। कार्यक्रम मे टिंकू जैन बिलगाय, महेन्द्र जैन शिक्षक डिकोली, विनोद जैन,पवन जैन, वीरेन्द्र सापोन, माया जैन, अमन जैन, बिट्टू जैन आदि का सहयोग सराहनीय रहा।