असुरों ने किया विश्वामित्र के यज्ञ का विध्वंस
विराटनगर। कस्बा स्थित रामलीला मैदान में शनिवार को श्री अवधेश कला केंद्र राम लीला मंडल के तत्वावधान में 15 दिवसीय लीला मंचन के दौरान भगवान श्री राम के जन्म की लीला दिखाई गई। मंडल के महासचिव मामराज सोलंकी ने बताया कि लीला प्रसंग के दौरान अयोध्या के महाराज दशरथ के तीन रानियां होने के बावजूद उनके चौथेपन में संतान सुख के वियोग में दुखी होने पर उन्होंने गुरु वशिष्ट के पास जाकर अपनी व्यथा सुनाई। जिस पर गुरु वशिष्ठ ने श्रृंगी ऋषि के द्वारा उनके लिए पुत्रेष्ठी यज्ञ संपन्न करवाया तथा उनके बताएं अनुसार यज्ञ की हवी चारों रानियां में वितरित कर ग्रहण करवाया गया। जिस पर माता कौशल्या के चतुर्भुज रूप में भगवान श्री राम ने अवतार लिया। महारानी ने अपना अपयश समझकर चतुर्भुज को बालक रूप में जन्म लेने हेतु प्रार्थना की। जिस पर भगवान विष्णु ने प्रकट होकर कहा कि पूर्व में अपने मनु और शतरूपा के रूप में कठिन तपस्या कर आपका समान पुत्र प्राप्ति की इच्छा प्रकट की थी, इसलिए मैंने इस रूप में जन्म लिया है। भगवान ने बालक रूप में अवतार देकर माता के संशय को दूर किया। इस प्रकार महाराज दशरथ के यहां तीनों रानियों के चार पुत्र राम भरत लक्ष्मण शत्रुघ्न ने जन्म लिया। जन्मोत्सव के बाद गुरु वशिष्ठ ने उनका नामकरण संस्कार किया तथा शिक्षा और दीक्षा दी। वही असुरों असुरों द्वारा मुनि विश्वामित्र के यज्ञ का विध्वंस करने तथा उन्हें सताए जाने पर मुनि विश्वामित्र ने महाराज दशरथ के यहां जाकर उनके दोनों पुत्र राम और लक्ष्मण को राक्षसों का वध करने तथा अपने यज्ञ की रक्षार्थ मांग कर ले आए। इससे पूर्व रावण, कुंभकरण, विभीषण के जन्म की लीला दिखाई गई। लीला मंचन में पवन बरीठ ने दशरथ, प्रदीप शर्मा ने राम, गणेश योगी ने लक्ष्मण, गोपाल शर्मा ने भरत, अनिरुद्ध शर्मा ने शत्रुघ्न, महेश सैनी ने सुमंत, प्रहलाद इंदौरिया ने वशिष्ठ, मुकेश सैनी ने विश्वामित्र, दिनेश मुद्गल ने रावण, रोमेश मिश्रा ने मेघनाथ, का किरदार निभाया।