सुनिल चपलोत/चैन्नई। जब तक मनुष्य अपनी बुराइयों का विसर्जन नहीं कर देता है तब तक उसके जीवन में सुख और शांति नहीं आने वाली है। रविवार को साहुकारपेट जैन भवन में महासती धर्मप्रभा ने नवरात्रा पर सभी श्रध्दालुओं को आर्शीवाद एवं शुभकामनाएं देतें हुए कहा कि अपने स्वार्थ को छोड़कर जो मनुष्य साधना करता है वह अपने जीवन को पवित्र बनाकर अपनी आत्मा को मोक्ष दिलवा सकता है। बिना त्याग किए जीवन का निर्माण और आत्मा का उध्दार नहीं हो सकता है। साधना ही वह मार्ग है जिससे मनुष्य अपने आप को पहचान और जानकर भीतर मे छिपी गंधगी और बुराईयों और कसायो को वह छोड़ देता है तो अपने जीवन को सुखमय बना सकता है जब तक वो छल-कपट,राग-देवेष,मोह -माया और कयायो का वह परित्याग और विसर्जन नहीं कर देता है तब तक वह कितनी भी साधना और आराधना कर लेवें,उसे साधना का फल प्राप्त नहीं हो सकता है,और नाहि वह अपने जीवन में सुख भोग सकता है।साध्वी स्नेहप्रभा ने कहा कि जो त्याग का अर्जन और अपनी बुराइयों का विसर्जन कर देता है ऐसा व्यक्ति ही संसार में अपने जीवन को सफल बना सकता है। जब तक मनुष्य जीवन मे संग्रह करता रहेगा तब तक उसके जीवन मे सुख और शांति नहीं आने वाली है। संग्रह जितना कम करेगा उतना ही जीवन मे आनन्द प्राप्त कर सकता हैं। साहुकारपेट श्रीएस.एस. जैन संघ के कार्याध्यक्ष महावीर चन्द सिसोदिया ने जानकारी देते हुए बताया कि महासती धर्मप्रभा,साध्वी स्नेह प्रभा कि प्रेरणा से तमिलनाडु युवा जैन कॉन्फ्रेंस ने बच्चों को सुंस्कारवान बनाने केलिए गुडलक त्याग प्रत्याख्यान कार्यक्रम रखा जिसमे चातुर्मास के दौरान सैकड़ों बालक और बालिकाओं ने साध्वी वृंद से प्रतिदिन प्रत्याख्यान के नियम लिए थें। नियम लेने वाले सभी बच्चों को तमिलनाडु युवा जैन कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष आनन्द बालेचा राष्ट्रीय युवा जैन कॉन्फ्रेंस के मंत्री आशीष रांका,अजीत कोठारी,महेंद्र सेठिया,शांतिलाल रांका,दिनेश नाहर आदि ने महासती धर्मप्रभा,साध्वी स्नेहप्रभा के सानिध्य मे बच्चों को पारितोषिक देकर सम्मानित किया गया। इसदौरान श्री संघ साहुकार पेट के मंत्री सज्जनराज सुराणा, हस्तीमल खटोड़,शांतिलाल दरड़ा,शम्भूसिंह कावड़िया पदाधिकारियों और श्रध्दालुओं की उपस्थिति रही।धर्मसभा मे अनेक क्षेत्रो पधारे अतिथियो मे राजस्थान ब्यावर जैन समाज के पूर्व अध्यक्ष जंवरीलाल सिसोदिया का श्रीसंघ के पदाधिकारियों ने स्वागत किया ।