जीवन में कभी दुःखी नहीं होता अहिंसा के मार्ग पर चलने वाला: हिरलप्रभाजी म.सा.
सुनील पाटनी/भीलवाड़ा। समय बड़ा बलवान इसलिए कहा जाता है क्योंकि हर खोई चीज वापस पाई जा सकती है लेकिन हाथ से निकला समय कभी वापस लौटकर नहीं आता है। धर्म आराधना व जिनवाणी श्रवण का जीवन में जो ये समय मिला है इसका सदुपयोग कर ले क्योंकि बाद में हम चाहेंगे तो भी ये वक्त वापस लौटकर नहीं आएगा। धर्म की आराधना से जो पुण्य अर्जित होंगे वह ही परभव में काम आएंगे बाकी सब वैभव-संपदा तो यहीं छूट जाएंगे। ये विचार भीलवाड़ा के चन्द्रशेखर आजादनगर स्थित रूप रजत विहार में रविवार को मरूधरा मणि महासाध्वी श्री जैनमति जी म.सा. की सुशिष्या महासाध्वी इन्दुप्रभाजी म.सा. ने नियमित चातुर्मासिक प्रवचन में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि हमे अपने जीवन में क्या बनना है यह स्वयं तय करना होगा। पुण्य और पाप दोनों हमारे साथ जुड़े हुए है। यदि हम मोक्ष मार्ग पर जाना चाहते है तो परमात्मा महावीर के दर्शन को अपने जीवन में अंगीकार कर पुण्य व धर्म के मार्ग पर चलना होगा और बुराईयों व अधर्म का त्याग करना होगा। हम पाप व अनीति के रास्ते पर चलते हुए स्वयं के लिए मोक्ष की कामना करे तो वह कभी पूरी होने वाली नहीं है। उन्होंने जैन रामायण का वाचन करते हुए भगवान राम के वनवास जाने की तैयारी से जुड़े विभिन्न प्रसंगों की चर्चा की। धर्मसभा में तरूण तपस्वी हिरलप्रभाजी म.सा. ने भजन की प्रस्तुति देने के साथ अधिकाधिक जिनवाणी श्रवण कर धर्म प्रभावना करने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि दुनिया में अहिंसा से बढ़कर कोई धर्म नहीं है, सभी धर्मों का सारांश अहिंसा है। जिस तरह समुद्र में सारी नदिया मिलती है उसी तरह अहिंसा में सारे धर्म मिलते है। हमारे आराध्य भगवान महावीर स्वामी को भी अहिंसा का अवतार माना जाता है। अहिंसा के मार्ग पर चलने वाला जीवन में कभी दुःखी नहीं होता और हिंसा का मार्ग अपनाने वाले का अंत हमेशा दुःखद होता है। इसलिए व्यक्ति को कभी अहिंसा मार्ग का त्याग नहीं करना चाहिए। धर्मसभा में आगम मर्मज्ञा डॉ. चेतनाश्रीजी म.सा., मधुर व्याख्यानी डॉ. दर्शनप्रभाजी म.सा., तत्वचिंतिका डॉ. समीक्षाप्रभाजी म.सा., आदर्श सेवाभावी दीप्तिप्रभाजी म.सा. आदि ठाणा का सानिध्य भी रहा। धर्मसभा में ़अतिथियों का स्वागत श्री अरिहन्त विकास समिति द्वारा किया गया। सचंालन युवक मण्डल के मंत्री गौरव तातेड़ ने किया। समिति के अध्यक्ष राजेन्द्र सुकलेचा ने बताया कि नियमित चातुर्मासिक प्रवचन प्रतिदिन सुबह 8.45 बजे से 10 बजे तक हो रहे है। चातुर्मासकाल में रूप रजत विहार में प्रतिदिन सूर्योदय के समय प्रार्थना, दोपहर 2 से 3 बजे तक नवकार महामंत्र का जाप हो रहा है।