शारदीय नवरात्र पर विशेष
भागलपुर। बिहार! सनातन धर्म में शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व है। नवरात्रि पर्व के नौ दिनों में माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। मान्यता है कि माँ दुर्गा की आराधना करने से जीवन में आ रही सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं। शारदीय नवरात्रि की शुरुआत अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है। वहीं इसका समापन दशमी तिथि को विजयदशमी पर्व के साथ हो जाता है। इस सम्बन्ध में अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त ज्योतिष योग शोध केन्द्र, बिहार के संस्थापक दैवज्ञ पं. आर. के. चौधरी उर्फ बाबा-भागलपुर, भविष्यवेत्ता एवं हस्तरेखा विशेषज्ञ ने सुगमतापूर्वक बतलाया कि:- आश्विन मास में पड़ने वाले इस नवरात्र को शारदीय नवरात्र कहा जाता है। इस नवरात्र की विशेषता है कि हम घरों में कलश स्थापना के साथ-साथ पूजा पंडालों में भी स्थापित करके जगत जननी माँ जगदम्बा की आराधना करते हैं। अभिजित मुहूर्त्त में कलश स्थापना करना विशेष शुभ फल प्रदायक होगा। अभिजीत मुहूर्त्त सभी शुभ कार्यों के लिए अति उत्तम होता है। जो प्रतिपदा के दिन मध्यान्ह 11:36 से 12:24 तक होगा। आश्विन शुक्ल प्रतिपदा रात्रि 12.33 मिनट तक पश्चात द्वितीया, आश्विन शुक्ल पक्ष प्रारंभ। शारदीय नवरात्र प्रारंभ घटस्थापन 10.24 मिनट के बाद। यद्यपि शुभ चौघड़िया निम्नांकित है। फिर भी अभिजित मुहूर्त्त में कलश स्थापना उत्तम है :15 अक्टूबर, रविवार, सुबह 7:30 से 12:00 बजे तक, दोपहर 1:30 से 3:00 बजे तक घरों में माता के आगमन का विचार:- देवी भागवत पुराण के अनुसार “शशिसूर्ये गजरूढा शानिभौमे तुरंगमे। गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौका प्रकीर्तिता।।”
नवरात्र की शुरुआत 15 अक्टूबर 2023, रविवार से हो रही है। अतः घरों में माता का आगमन गज की सवारी पर होगा। जो मानव के लिए सामान्य फल दायक एवं वर्षा कारक होगा। आमजनों के स्वास्थ्य एवं धन पर सामान्य प्रभाव पड़ सकता है। पूजा पंडालों में माता के आगमन का विचार सप्तमी तिथि के अनुसार किया जाता है एवं गमन के विचार दशमी तिथि से किया जाता है। सप्तमी तिथि को शनिवार होने से बंगिया पद्धति के अनुसार देवी का आगमन तुरंग पर होगा। इस प्रकार घरों में माता का आगमन हाथी एवं पूजा पंडालों में माता का आगमन तुरंग अर्थात घोड़े पर हो रहा है। जो छत्र भंग कारक, कष्टप्रद तथा पड़ोसी राष्ट्रों से विवाद या युद्ध जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है। आराधना करने से जगत जननी माँ जगदम्बा का आशीर्वाद हम सभी के लिए शुभ-मंगल दायी ही होगा। रात्रि कालीन अष्टमी की महानिशा पूजा 21 अक्टूबर 2023, दिन शनिवार को रात में ही होगी। महाअष्टमी का व्रत पूजा 22 अक्टूबर दिन रविवार को किया जाएगा एवं 22 अक्टूबर को ही संधि पूजा का समय सायं 5:01 बजे से लेकर के 5:49 बजे तक का होगा। महानवमी का मान्य 23 अक्टूबर दिन सोमवार को होगा एवं पूर्व नवरात्रि के समापन का हवन पूजन में नवमी तिथि पर्यंत 23 अक्टूबर दिन सोमवार को दिन में 3:10 बजे तक कर लिया जाएगा। 23 अक्टूबर को सोमवार को ही अपरान्ह काल में दशमी तिथि तथा श्रवण नक्षत्र प्राप्त होने के कारण विजय दशमी के पर्व का भी मान्य होगा। दशमी तिथि में माता के गमन का विचार किया जाता है। अतः जगदम्बा का प्रस्थान इस वर्ष महिषा अर्थात भैंसे पर होगा जो शुभ फलदायी नहीं होता है। अर्थात राष्ट्र में तनाव की स्थिति को उत्पन्न करने के साथ-साथ शोक कारक हो सकता है। पूर्ण नवरात्र व्रत का पारण उदय कालिक दशमी तिथि 24 अक्टूबर दिन मंगलवार को किया जाएगा। उदय कालिक दशमी तिथि को मानने वाले पूजा पंडालों में स्थापित माता दुर्गा के प्रतिमाओं का विसर्जन 24 अक्टूबर दिन मंगलवार को भी कर सकते हैं।