Saturday, November 23, 2024

सबसे महत्वपूर्ण रैकी स्वयं की है, स्वयं की रैकी, स्वयं की दुआ स्वयं को दो। तुम अपने आप मे बताओ, तुम्हारे मन पर तुम्हें गर्व है या नही: निर्यापक मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी महाराज

आगरा। निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव श्री सुधा सागर जी महाराज ने आगरा के हरीपर्वत स्थित श्री 1008 शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर के अमृत सुधा सागर सभागार में मंगल प्रवचन को संबोधित करते हुए कहा कि मन को शान्त कैसे करे मन को तृप्त कैसे करे, मन को अनुकूल कैसे बनाये इस बात के लिए सारा संसार पूरी ताकत लगा रहा है साधु संत साधना कर रहे है मन के लिए लेकिन फिर भी ये मन कंही न कंही गड़बड़ कर देता है। कुत्ते के समान है मन, इसको शेर कैसे बनाऊं ये मन बहुत काम का है। जिस वस्तु से जितनी हानि है यदि पॉजिटिव हो जाए तो उससे फायदा भी बहुत है। यदि संसार के सारे चोर, चोरी छोड़कर पुलिस में आ जाये तो कहीं चोरी होगी ही नही। हमारे अपराध करने पर दुनिया दण्ड दे ये लज्जा की बात है और राजा मुझे दण्ड दे तो ये तो और खतरनाक है। ज्ञानी व्यक्ति किसी दूसरे से दण्ड नही लेता, स्वयं दण्ड लेता है और जब कोई व्यक्ति स्वयं दण्ड लेता है तो वही दण्ड सजा नही प्रायश्चित कहलाता है। प्रायश्चित किये हुए अपराध की सजा है लेकिन वह सजा मिली नही गयी है, ली गयी है। सजा तो मिलेगी ही कानून से नही तो कर्म की अदालत में मिलेगी। यह मत समझो कि तुम्हारी भूल सिर्फ तुम्हारे लिए ही घातक है तुम्हारी भूल न जाने कितनों की जिंदगी बर्बाद कर देती है। पापियों की भूल से कोई भूल नहीं होती है, पुण्यात्मा की भूल से संसार खत्म होता है। एक डाकू डाका डालता है कोई फर्क नही पड़ेगा दुनिया मे लेकिन एक साधु डाकू बन जाए तो सारा जगत लुटेरा बन जाएगा। साधु कोई कृत्य करता है तो उसकी नकल होती है। सबसे महत्वपूर्ण रैकी स्वयं की है, स्वयं की रैकी, स्वयं की दुआ स्वयं को दो। तुम अपने आप मे बताओ, तुम्हारे मन पर तुम्हें गर्व है या नही तुम्हारी आंखों पर तुम्हें गर्व है या नहीं, दुनिया को नहीं। तुम जी रहे हो तुम्हें गर्व है या नहीं। तुम्हें अपने हाथों पर गर्व है या नही। हा है गर्व, इन हाथों से आज तक किसी का बुरा नहीं हुआ। स्वयं की रैकी स्वयं को दो, स्वयं का आशीर्वाद स्वयं को दो। हे आँखे! तुम धन्य हो, ओहो इन आँखों का उपकार मैं भूल जाऊँ लाखो करोड़ो की जिंदगी बचाई है इन आँखों ने, एक हजार चींटी एक पैर के नीचे आकर मर सकती थी। अपनी जिंदगी को थैंक्स कहो जी। कौन सा पाप किया है इन बेचारी आँखों ने। कोसे वे जो दुनिया को बुरी दृष्टि से देखते है, जिनकी आँखे जीव को चलते हुए न देख करके पैरों से रौंद देती है। एक एक रोम हमारा उपकारी है। हम दुनिया को पुरस्कार देते है, स्वयं के कृत्य का कभी स्वयं को भी पुरस्कार देना चाहिए। धर्मसभा का शुभारंभ संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के चित्र का अनावरण एवं दीप प्रज्जवलन के साथ किया| साथ ही सौभाग्यशाली भक्तों ने मुनिश्री का पाद प्रक्षालन किया| धर्मसभा में राहुल विहार महिला मंडल एवं अजमेर महिला मंडल द्वारा बहुत सुंदर मंगलाचरण की प्रस्तुति दी| धर्मसभा का संचालन मनोज जैन बाकलीवाल ने किया| इस अवसर पर प्रदीप जैन पीएनसी, नीरज जैन जिनवाणी, हीरालाल बैनाड़ा, मनोज बाकलीवाल, पन्नालाल बैनाड़ा, निर्मल मोठया, राजेश जैन सेठी, अमित जैन बॉबी, अनिल जैन, विवेक बैनाड़ा, नरेश जैन, मीडिया प्रभारी शुभम जैन, राहुल जैन, पंकज जैन, शिवम जैन, रवि जैन, शैलेंद्र जैन अंकेश जैन,सचिन जैन, समस्त आगरा सकल जैन समाज के लोग बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

रिपोर्ट मीडिया प्रभारी शुभम जैन

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