सैंकड़ों यात्रियों ने की पर्वत की परिक्रमा, विधान और वंदना
जयपुर। जैन धर्म के सर्वोच्च तीर्थ क्षेत्र श्री सम्मेदशिखर, मधुबन झारखण्ड की परिक्रमा (चतुर्थ) करने के लिये इस बार विशेष कार्यक्रम श्री विद्यासागर यात्रा संघ जयपुर के तत्वावधान में सानंद सम्पन्न हुआ। जयपुर और बाहर के सैंकड़ों की संख्या में यात्री तीर्थराज सम्मेदशिखर की वंदना और परिक्रमा करने श्री सम्मेद शिखर पहुंचे। तीर्थ यात्री 5 अक्टूबर को, जयपुर से रवाना हुए। यात्रा संयोजक गौरव छाबड़ा, राहुल जैन और राजेश बोहरा ने बताया कि इस यात्रा के दौरान दिनांक 5 अक्टूबर से 11 अक्टूबर के मध्य कई कार्यक्रम आयोजित किये गए। इसमें दिनांक 7 अक्टूबर को तीर्थराज विधान किया गया जिसमें सोधर्म इंद्र बनने का सौभाग्य महावीर कुमार, केशव सपना गोदिका जयपुर निवासी को प्राप्त हुआ। दिनांक 8 अक्टूबर को श्री सम्मेदशिखर वंदना और 9 से 10 अक्टूबर को तीर्थराज की चतुर्थ परिक्रमा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के संयोजक प्रदीप सोगानी, अरुणेश गंगवाल ने बताया कि सभी यात्रियों ने तीनों कार्यक्रम संपन्न कर मुनि श्री प्रमाण सागर जी महाराज का आशीर्वाद प्राप्त किया।
मुनिराज ने इस क्षेत्र की महिमा के बारे में बताया कि इस क्षेत्र की परिक्रमा 52 किलोमीटर की है इसे पैदल चलकर पूर्ण करना जीवन की बड़ी उपलब्धि है ये क्षेत्र काफी दुर्लभ है इस क्षेत्र से असंख्यात चौबीसी एवं अनन्तानन्त मुनीश्वरों ने कर्मनाश कर मोक्षपद प्राप्त किया है। वर्तमान चौबीसी के काल में यहाँ की 20 टोंकों से 20 तीर्थंकरों के साथ 86 अरब 488 कोड़ाकोड़ी 140 कोड़ी 1027 करोड़ 38 लाख 70 हजार 323 मुनियों ने कर्मों का नाश कर मोक्ष पद प्राप्त किया है। ऐसे सभी पापों की निर्जरा करने वाले पावन तीर्थराज की वंदना करने से 33 कोटि 234 करोड़ 74 लाख उपवास का फल प्राप्त होता है। इस तीर्थ की परिक्रमा जीवन में एक बार अवश्य करनी चाहिए। यात्रा संयोजक शैलेंद्र पाटनी ने बताया कि यात्रा में 6 वर्ष के बच्चे से लेकर 80 वर्ष तक के यात्री के साथ पूरे देश से कई यात्री जिनमें डॉक्टर, इंजीनियर, कई अधिकारी और श्रावक- श्राविकाओ ने भाग लिया। अंत में निहारिका परिसर में सभी यात्रियों का सम्मान एवं परिचय सम्मेलन आयोजित किया गया जिसमें सभी संयोजकों का आभार प्रकट किया गया।