Saturday, September 21, 2024

जैन धर्म की संक्षिप्त जानकारी प्रदान करने वाली पुस्तक

पुस्तक समीक्षा

पुस्तक का नाम: A brief introduction to Jainism
लेखक: डॉ. अनिल कुमार जैन
प्रकाशक: इंफिनिटी एजुकेसन्स (@7665634999) एवं प्राकृत भारती, जयपुर
ISBN: 9789393567475
(Amazon पर भी उपलब्ध)

जैन धर्म से सम्बंधित ऐसी पुस्तकें कम हैं जो जैन धर्म के इतिहास, इसके कुछ मुख्य सिद्धांतों तथा प्रमुख जैन तीर्थों की संक्षिप्त जानकारी प्रदान कर सकें। डॉ. अनिल कुमार जैन द्वारा लिखित पुस्तक “A brief introduction to Jainism” इस कार्य को पूरा करने में सक्षम है। जैन धर्म दुनियाँ के सबसे पुराने धर्मों में से एक है, यह महावीर से बहुत पहले अस्तित्व में था। भगवान् ऋषभनाथ जैन धर्म के चौबीस तीर्थंकरों में पहले तीर्थंकर थे। ऋषभनाथ का वर्णन वेदों में भी मिलता है। जैनधर्म वैदिक-धर्म और बौद्धधर्म से अलग है, इस बात को इसमें स्पष्ट किया गया है। सम्राट अशोक के पितामह राजा चन्द्रगुप्त मौर्य थे जिन्होंने बाद में दिगंबर मुनि दीक्षा ग्रहण कर ली थी। णमोकार मन्त्र जैन धर्म का महान मन्त्र है, इसका प्राचीनतम उल्लेख भुवनेश्वर के निकट स्थित उदयगिरी पहाड़ी में स्थित हाथी गुफा के एक लेख में मिलता है जो ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी का है।
अहिंसा और अनेकांत जैन धर्म के महत्वपूर्ण सिद्धांत हैं। अहिंसा को परम धर्म कहा गया है तथा मोक्ष का कारण बताया गया है। जैनाचार्यों ने अहिंसा को जीवन में उतरने के लिए संयमित जीवन जीने का उपदेश दिया है। अनेकांत विभिन्न धर्मों के बीच अलग-अलग दृष्टिकोणों के मतभेदों को समाप्त करता है। अनेकांत, स्याद्वाद और नयवाद क्या हैं, इसको भी स्पष्ट किया गया है।
ऐतिहासिक एवं कला की दृष्टि से प्रसिद्ध कुछ जैन तीर्थस्थलों के बारे में भी जानकारी दी गई है। देशभर में अनेक जैन तीर्थ उपलब्ध हैं जो अपनी भव्यता के लिए प्रसिद्ध हैं। कर्नाटक के श्रवणबेलगोला में स्थित भगवान् बाहुबली की एक ही पत्थर से बनी 57 फीट की प्रतिमा विश्व प्रसिद्ध है. आबू में स्थित दिलवाडा के जैन मंदिर अपनी अद्वितीय सुन्दरता के लिए प्रसिद्ध हैं।
जैन साहित्य प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। ऐसा माना जाता है कि यह सभी धर्मों में सबसे अधिक और विशाल है। यह प्राकृत, संस्कृत, अपभ्रंश, कन्नड़, मराठी, हिंदी, ब्रज आदि विभिन्न भाषाओं में उपलब्ध है। सबसे पुराना लिखित जैन आगम ‘षट्खंडागम’ है जो पहली शताब्दी में आचार्य पुष्पदंत और आचार्य भूतबली द्वारा गुजरात के अंकलेश्वर नगर में लिखा गया था। यह पुस्तक इन सब बातों की संक्षिप्त प्रारंभिक जानकारी प्रदान करने में बहुत सहायक है।

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