23 नवंबर को देवउठनी एकादशी, प्रदेश में 1 लाख से अधिक विवाह
जयपुर। चुनाव आयोग द्वारा प्रदेश में चुनाव की घोषणा करने से एक तरफ सभी प्रत्याशी उत्साही नजर आ रहे है तो वही दूसरी तरफ टेंट, बस, इवेंट, टेक्सी, बैंड-बाजे सहित सभी व्यवसायी परेशान नजर आ रहे है क्योंकि प्रदेश में चुनाव 23 नवंबर को होने जा रहे है और उसी देवउठनी एकादशी भी है जो हिंदुओं सहित सनातन धर्म का सबसे बड़ा त्योहार है इस अबूझ मुहूर्त होता है और देशभर में अनगिनत शादियां रहती है अकेले राजस्थान में 23 नवंबर को 1 लाख से अधिक शादियां है, इसके अलावा अबूझ मुहूर्त होने से अनेकों नए प्रतिष्ठान भी खुलेगे जिससे ना केवल व्यवसायी परेशान है बल्कि प्रदेश का आम नागरिक भी परेशान नजर आ रहा है। युवा सामाजिक कार्यकर्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा की प्रदेश में चुनाव होने चाहिए किंतु चुनाव जनता को ध्यान में रखकर होने चाहिए, चुनाव आयोग ने बिना विचार विमर्श किए और बिना तीज – त्यौहार देखे आनन – फानन में चुनावों की तारीख का एलान कर दिया। प्रदेश में 23 नवंबर को चुनाव होने से 1 करोड़ से अधिक लोगों को वोट देने से रोका जा रहा है जो पूरी तरफ से संविधान के खिलाफ है, खुलेआम लोकतंत्र की हत्या है। चुनाव आयोग की नैतिक जिम्मेदारी बनती है की वह प्रत्येक मतदाता को मतदान स्थल पर पहुंचाकर अधिक से अधिक मतदान करवाए और लोकतंत्र की स्थापना करे किंतु प्रदेश में जिस प्रकार से चुनाव की तारीख का एलान हुआ है उसमें चुनाव आयोग लोकतंत्र और संविधान के विपरीत काम करती नजर आ रही है। अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा की चुनाव आयोग को 23 नवंबर के बजाय अतिरिक्त तारीख पर चुनाव करवाने पर विचार करना चाहिए। इससे ना केवल लोकतंत्र बचेगा, बल्कि संविधान का भी सम्मान होगा साथ ही सनातन धर्म का भी सम्मान होगा, देवउठनी एकादशी के दिन चुनाव की घोषणा से सनातन धर्मावलंबियों की आस्था को गहरी ठेस पहुंची है।