गुंसी, निवाई। श्री दिगम्बर जैन सहस्रकूट विज्ञातीर्थ , गुन्सी की धरा को पुण्य भूमि बनाने वाली गणिनी आर्यिका विज्ञाश्री माताजी ने प्रवचन सभा में उपस्थित श्रद्धालुओं को उपदेश देते हुए कहा कि भूतल पर किसी का भी जन्म निरुद्देश्य नहीं होता। प्रत्येक के जन्म की अहमियत एवं सार्थकता है । हमारा जीवन कीड़े – मकोड़ों की तरह अर्थहीन नहीं है। हमारा जन्म और जीवन दोनों उद्देश्य युक्त है। जीवन के प्रति उद्देश्य पूर्ण और सकारात्मक दृष्टि अपनाने पर व्यक्ति अपने प्रत्येक दिन को सार्थक और धन्य करने के लिए प्रयत्नशील हो जाता है। व्यक्ति की मानसिकता के अनुसार ही जीवन और जीवन जीने के मार्ग निर्धारित होते हैं। मानसिकता विचारों को प्रभावित करती है और विचार ही व्यक्तित्व का निर्माण करते हैं। व्यक्तित्व निर्माण ही जीवन का असली धन है। विज्ञातीर्थ क्षेत्र पर सहस्रकूट जिनालय का निर्माण प्रारम्भ हो चुका है । क्षेत्र पर चल रहे नव – नवीन आयामों एवं आयोजनों का लाभ यात्रीगण को मिल रहा है। कारंजा महाराष्ट्र से पधारे यात्रीगणों ने शांतिनाथ भगवान के प्रथम अभिषेक करने का सौभाग्य प्राप्त किया। गुरु माँ के मुखारविन्द से भगवान जिनेंद्र की अखण्ड शान्तिधारा करने का सौभाग्य अमित जी कोटा , कालूराम जी जयपुर एवं पूनम जी बैनाड़ा जयपुर वालों को प्राप्त हुआ। आगामी नवरात्रि महोत्सव के अंतर्गत दस दिवसीय महार्चना एवं विश्वशांति महायज्ञ जाप्यानुष्ठान का महा आयोजन होने जा रहा है।