Thursday, November 21, 2024

साध्वी धर्मप्रभा के प्रवचन से प्रभावित होकर सभी श्रध्दांलूओ ने कुव्यसनों केलिए सकल्प

वचनबध्द बेमिशाल सत्यनिष्ठ अहिंसा के देवता थे वीर तेजाजी: महासती धर्मप्रभा

सुनिल चपलोत/चैन्नई। हिंसा के मार्ग से विश्व मे शांति की स्थापना नहीं हो सकती है। रविवार साहूकार पेट जैन भवन में महासती धर्मप्रभा ने विश्व अहिंसा दिवस पर सत्यनिष्ठ अहिंसा के पूजारी वीर तेजाजी की गौरव गाथा का वर्णन करतें हुए कहा कि वीर तेजाजी वचनबद्ध अहिंसा के पूजारी गायों के संरक्षक शूरवीर साहसी महापुरुष थे उन्होंने धर्म की रक्षा और गायों की सुरक्षा के लिए अपने प्राणो का हंसते – हंसते बलिदान दे दिया था।वीर तेजाजी का का जन्म राजस्थान मे नागौर जिले के खरनोल गांव के जाट परिवार में हुआ।बचपन से ही उनके साहसिक कारनामों से लोग आश्चर्यचकित एवं दंग रह जाते थे। लाछा गुजरी की गायो को डाकूओं से छुड़ाने के लिए वीर तेजा जब जंगल के रास्ते में गुजर रह थे तब आग मे जलते हुए काले नाग को भाले द्वारा अग्नि से बाहर निकाल फेंकते हैं,लेकिन सर्प को बच जाने का पश्चाताप होता है। और नाग राज कहता है मुझे आग मे जलने से क्यों बचाया? मैं तुझे डसूंगा।फिर तेजा नागराज को वचन देता है कि मे गायों को छुड़ाकर वापिस तेरी बम्बी पर लौटकर आऊंगा। नागराज दिये गये वचनबद्धता निभाते हुए,युद्ध में अत्यधिक घायल हो जाने के बावजूद तेजा लहूलुहान अवस्था मे सांप की बम्बी पर पहुंचकर नागराज को कहां जहां चाहे तुम मुझे डंक मार लो ओर अपना धर्म पूरा करलो,सांप तेजाजी की बातो से प्रभावित होकर डंसने से मना करता फिर तेजा ने कहा कि मुझे वचन हार कर मना मत कर और मैरी जीभ पर डंस ले।’वरना मेरा वचन टुट जाऐगा फिर सर्पराज ने वीर तेजा की वचनबद्ध को निभाते हुए जीह्वा पर डंसा। गायों की रक्षार्थ अपने प्राणों का बलिदान देने वाले सत्यवादी अहिंसा के देवता का वीर तेजाजी जन्मोत्सव सम्पूर्ण प्रदेश ओर देश मे अहिंसा दिवस के रूप मे सभी धर्मो के लोग मनाते है।तेजाजी के द्वारा बताये अहिंसा के मार्ग सभी चलगे तो देश मे शांति और रामराज्य की स्थापना हो जाएगी। साहूकारपेट श्री एस.एस.जैन संघ के कार्याध्यक्ष महावीर चन्द सिसोदिया ने बताया साध्वी धर्मप्रभा के अहिंसा के प्रवचन से प्रभावित होकर धर्मसभा मे संघ के महामंत्री सज्जनराज सुराणा,हस्तीमल खटोड़,सुरेश डूगरवाल,देवराज लुणावत,शांतिलाल दरड़ा,शम्भूसिंह कावड़िया, अशोक सिसोदिया,जंवरीलाल कटारिया आदि पदाधिकारियों के साथ सभा मे मौजूद सभी श्रध्दांलूओ ने अहिंसा के मार्ग को अपनाते हुए कुव्यसनों का त्याग किया और गायों की रक्षा और सुरक्षा करने का सभी ने सकल्प लिये।

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