Monday, November 25, 2024

अहिंसा जीवन का प्राण है: गणिनी आर्यिका विज्ञाश्री माताजी

गुंसी, निवाई। श्री दिगम्बर जैन सहस्रकूट विज्ञातीर्थ, गुन्सी में विराजित गणिनी आर्यिका 105 विज्ञाश्री माताजी के ससंघ सान्निध्य में शांतिनाथ भगवान की अखण्ड शान्तिधारा करने का सौभाग्य ताराचंद सौगानी चनानी, राकेश कठमाणा वाले छत्तीसगढ़, महावीर बालोतरा एवं भागचंद सिरस वालों को प्राप्त हुआ। बाहर से पधारे यात्रीगण जयपुर, टोडारायसिंह, चाकसू, बूंदी, देवली समाज ने गुरु मां का मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया एवं विज्ञातीर्थ क्षेत्र के दर्शन का अनुपम लाभ प्राप्त किया। गांधी जयंती पर गुरु मां ने श्रावकों को अहिंसा धर्म का उपदेश देते हुए कहा कि अहिंसा ही जीवन का प्रण है अहिंसा क्रांति के उन्नायक महात्मा गांधी जी ने रोटी – कपडा – मकान के लिए लड़ाई नहीं की बल्कि अहिंसा के बल पर देश को स्वतंत्र करके महा संग्राम किया। अपने देश के खातिर प्राणों का बलिदान दिया। यह शिक्षा उन्हें जैन दर्शन से ही मिली थी।

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