प्रातः सभी जैन मंदिरों में हुई उत्तम त्याग धर्म की पूजा
वी के पाटोदी/सीकर। श्री दिगम्बर जैन समाज द्वारा दसलक्षण महापर्व का आठवां दिन मंगलवार को उत्तम त्याग धर्म के रूप में मनाया गया।दीवान जी की नसियां में ब्रह्मचारिणी सरिता दीदी ने अपने अमृतमय प्रवचन में कहा कि त्याग के बिना कोई धर्म जीवित नहीं रह सकता। जिसने भी अपने जीवन में त्याग किया है वही चमकता है। समस्त भोग विलास की वस्तु का त्याग करना ही मुक्ति का मार्ग है। भगवान श्रीराम, भगवान महावीर आदि महापुरुष अपने त्याग धर्म के कारण जन-जन में पूजनीय और वंदनीय हुए। धर्म और आत्मा को जीवित रखने के लिए त्याग आवश्यक है।प्रवक्ता विवेक पाटोदी ने बताया कि त्याग धर्म के अवसर पर जैन मंदिरों में उत्तम त्याग धर्म की विधि विधान के साथ पूजा अर्चना हुई। इसके पूर्व विश्व शांति मंत्रों के द्वारा अभिषेक पूजन शांतिधारा की गई। समाज के जयंत पाटोदी , संजय बड़जात्या व प्रवक्ता विवेक पाटोदी ने बताया कि मंगलवार को सांयकाल सकल जैन समाज के तत्वाधान में दीवान जी की नसियां में मानस्तंभ के समक्ष भव्य महाआरती का आयोजन ब्रह्मचारिणी सरिता दीदी व बबीता दीदी के सानिध्य में किया गया। इस दौरान संपूर्ण जैन समाज उपस्थित हुआ। यह समाज में ऐतिहासिक अवसर था जब मानस्तंभ के समक्ष एक जैसे गणवेश में म्यूजिकल ट्रैक पर महाआरती का भव्य आयोजन किया गया। वीरध्वनि व आचार्य ज्ञान सागर युवा मंच, जैन सोश्यल ग्रुप द्वारा आयोजन में सहयोग प्रदान किया गया। कार्यक्रम पश्चात महाआरती का डिजिटल प्रसारण वीरध्वनि के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से किया जाएगा। महाआरती के पश्चात सन्मति जैन पाठशाला के समाज के नन्हे बच्चों द्वारा धार्मिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया।