लाडनूं। स्थानीय श्री दिगंबर जैन बड़ा मंदिर में दसलक्षण पर्व के आठवें दिन उत्तम संयम धर्म की आराधना की गई। इस अवसर पर जैन दर्शन के मूर्धन्य मनीषी डॉ सुरेंद्र जैन ने उत्तम संयम धर्म को व्याख्यात करते हुए कहा कि अपनी इंद्रियों को नियंत्रित करना ही संयम धर्म है। व्यक्ति क्रोध मान माया लोग के बासी भूत होकर अपने धर्म का निर्वाह करना भूल जाता है। जबकि जैन दर्शन में इन सभी कषायों की परित्याग की बात की है। अगर जैन सिद्धांतों के एक-एक सूत्र को ध्यान में रखकर अपनी जीवन शैली को अपने तो वैश्विक समस्याओं का समाधान निहित है। इस अवसर पर जैन समाज के मंत्री विकास पांड्या ने कहा कि जैन समाज के लोग दसलक्षण पर्व को बहुत ही उल्लास और भक्ति भाव के साथ मना रही है। प्रातः श्रीजी का अभिषेक, शांतिधारा, तदुपरांत तत्वार्थ सूत्र, भक्तांबर स्तोत्र प्रवचन, महा आरती, दस धर्म स्वाध्याय एवं रात्रि में जैन समाज की युवा युवतियों द्वारा संस्कृतिक कार्यक्रमों कार्यक्रम की जोरदार प्रस्तुति दी जा रही है। सांस्कृतिक कार्यक्रम संयोजक निर्मल पाटनी ने बताया कि नगर के सभी मंदिरों में जोरदार लाइटिंग एवं सजावट देखने योग्य है। उन्होंने कहा कि लोगों का उत्साह धर्म की प्रभाव न को बढ़ता है। यही कारण है कि दैनिक कार्यक्रमों में युवा बुजुर्ग महिला पुरुष सभी उत्साह के साथ सम्मिलित हो रही है। इस अवसर पर हरखचंद व पुष्पादेवी काला (शिलोंग) सुरेश कासलीवाल, अनिल पहाड़िया, अशोक सेठी, राजेश कासलीवाल, प्रकाश पांड्या, चंदकपूर सेठी, सुरेंद्र कासलीवाल, महेंद्र गंगवाल, आकाश कासलीवाल, महेंद्र सेठी, सुरेंद्र सेठी, राज पाटनी, विशाल सेठी, रंजू पांड्या, रेखा जैन, सुशीला कासलीवाल, डॉ मनीषा जैन, महिमा जैन, सोनिका कासलीवाल, सोनम पाटनी, वीणा जैन सहित सैकड़ो लोग नगर के विविध मंदिरों में भक्ति भाव के साथ पूजा अर्चना में सम्मिलित होकर धर्म लाभ ले रहे। इस अवसर पर। उपमंत्री अंकुश सेठी ने सभी कार्यकर्ता श्रावक-श्राविकाओं के प्रति आभार व्यक्त किया।