Sunday, November 24, 2024

शहर के 225 से अधिक दिगम्बर जैन मन्दिरों मे हो रहे आयोजन

मंगलवार को मनाया जावेगा वीतराग धर्म का उत्तम त्याग लक्षण
जयपुर।
दिगम्बर जैन धर्मावलंबियों ने दशलक्षण महापर्व में सातवे दिन सोमवार को वीतराग धर्म का उत्तम तप लक्षण भक्ति भाव से मनाया। इस मौके पर शहर के दिगम्बर जैन मंदिर परिसर जयकारों से गुंजायमान हो उठे। इससे पूर्व दिगम्बर जैन मंदिरों में प्रातः श्री जी के अभिषेक, शांतिधारा के बाद दशलक्षण धर्म में उत्तम तप लक्षण की विधान मंडल पर अष्ट द्रव्य से पूजा अर्चना की गई। राजस्थान जैन युवा महासभा के प्रदेश महामंत्री विनोद जैन ‘कोटखावदा’ ने बताया कि उत्तम तप लक्षण पर प्रवचन देते हुए संतों एवं विद्वानों ने कहा कि ” तप चाहै सुरराय, करम शिखर को वज्र है। द्वादशविधि सुखदाय, क्यो ने करै निज सकति सम।। उत्तम तप सबमाॅहि बखाना, करम शैल को वज्र समाना। बस्यो अनादिनिगोद मॅझारा, भू विकलत्रयपशु तन धारा।।” अर्थात समस्त रागादि परभावों की इच्छा के त्याग द्वारा स्वरुप में प्रतपन करना-विजयन करना तप है। आत्मलीनता द्वारा विकारों पर विजय प्राप्त करना तप है। तप शरीर के सुखाने का नाम नहीं है, इच्छाओं के विरोध का नाम है।

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