Monday, November 25, 2024

तप से कष्ट नहीं होता सिर्फ आनंद ही आनंद आता है: संत मुनी सुयश सागर जी मुनिराज

झुमरीतिलैया, कोडरमा। जैन धर्म का सर्वश्रेष्ठ पर्व दसलक्षण पर्यूषण का सातवां दिन भक्तजनों ने “उत्तम तप धर्म” के रूप में मनाया ,कोडरमा जिले वासियों को धर्म और ज्ञान की गंगा का सोपान कराते हुए महासंत जैन मुनि श्री 108 सुयश सागर गुरुदेव ने अपनी अमृतवाणी मे साधर्मी बंधुओं को कहा की इच्छाओं का त्याग करना ही तप धर्म है, शांति से दुख सहन करना सबसे बड़ा तप है बिना तप के कोई शुद्ध नहीं होता जीवन में उसी के सामने झुको जिसके जीवन में तप हो, जमीन के अंदर पैर के नीचे दबने वाली मिट्टी भीआग में तपने के बाद मूर्ति का आकार लेकर पूजनीय हो जाती है तप विशुद्धि के साथ और वाणी संयम के साथ किया जाता है, मोक्ष मार्ग की प्राप्ति के लिए अंतःकरण को स्वच्छ करते हुए संयम के साथ तप किया जाता है वहीं तप निर्जरा का साधन बनता है अंतरंग में शांति रूपी तप नहीं धारण करेंगे तो सभी तपस्या बेकार हो जाती है, नियम और संयम से जीवन जब श्रृंगारित हो जाता है तभी व्यक्ति तप के लिए आगे बढ़ता है, आत्मा के अंदर अनंत शक्ति भरी हुई है उसको निखारना बिना तप के संभव नहीं है ,विश्व में जैन धर्म की पहचान तप , त्याग , तपस्या से हैं जैन दर्शन भगवान बनने की बात करता है, भेद विज्ञान से भगवान मिलते हैं,जीवन में इसी की आवश्यकता है, मंगल ग्रह में मंगल नहीं मिलता, जीवन में मंगल खोजो जैन दर्शन यही कहता है, कर्मों के क्षय को काटकर सिद्धतव की ऊंचाई को पाना जैन दर्शन है जीवन को परख कर तराशना ही तप है,जीवन को ऐसा बनाएं कि कभी न कांटा लगे न कांटा चुभे, शरीर को भी धर्म के मार्ग पर तपाना पड़ता है तप के द्वारा ही व्यक्ति भक्त से भगवान बन सकता है , जैन धर्म वैज्ञानिक धर्म है विदेश ने पदार्थ का आविष्कार किया, भारत देश ने परमात्मा का आविष्कार किया जिस प्रकार सोना बिना तपाय चमक नहीं दे सकता उसी प्रकार शरीर को बिना तपाए मोक्ष गामी नहीं बनाया जा सकता, जीवन में सुखी रहना है तो अपनी इच्छाओं को कम करो तप में कष्ट नहीं होता सिर्फ आनंद ही आनंद होता है। प्रातः गुरुदेव सुयश सागर जी के मुखारविंद से नया मंदिर जी में महा शांति धारा का पाठ किया गया मूल नायक 1008 महावीर भगवान का प्रथम अभिषेक व शांति धारा का सौभाग्य फूलचंद किशोर प्रदीप प्रतीक पांडया परिवार को मिला बड़ा मंदिर में मून नायक पारसनाथ भगवान का प्रथम अभिषेक शांति धारा का सौभाग्य कमल गंगवाल परिवार को मिला पंडाल में प्रथम अभिषेक व रजत धारी से शांति धारा का सौभाग्य सुशील इसान कासलीवाल परिवार को मिला पारसनाथ भगवान की मूल बेदी में अभिषेक शांति धारा का सौभाग्य दस लक्षण व्रतधारी परिवार को मिला। पंडाल में स्वर्ण कलसा से शांति धारा का सौभाग्य शुभ संयोग परिवार को मिला , दीप प्रज्वलन, शास्त्र भेंट चरण पखारने का सौभाग्य जयकुमार मनीष गंगवाल परिवार को मिला समाज के मंत्री ललित सेठी कार्यक्रम संयोजक नरेंद्र झा झंरी पार्षद पिंकी जैन मीडिया प्रभारी राजकुमार अजमेरा नवीन जैन ने सभी 10 लक्षण व्रतधारियों के कठिन तप उपवास की अनुमोदना की गुरुदेव सुयश सागर जी ने अपने हाथों से सभी वृत्तियों को विश्व शांति धारा के लाखों मंत्रो का पूजित जल मस्तक पर लगाने के लिए दिया 10 लक्षण व्रत धारण कर रहे प्रेम झाझंरी,वीणा झाझंरी,शोभा पा टनी, नीलम सेठी ,खुशबू सेठी, निशु सेठी,आशा गंगवाल ,शिखा गंगवाल, राजीव छाबड़ा, विनीत सेठी, सिद्धार्थ सेठी ,रौनक कासलीवाल, अमित गंगवाल, सुमित सेठी ,आशीष छाबड़ा, सिद्धम छाबड़ा ,राहुल छाबड़ा आदि वृत्तियों को गुरुदेव ने निर्विघ्न उपवास के लिए आशीर्वाद दिया।

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