जिनके जीवन में संतों का सानिध्य मिल जाता है उनका जीवन बदल जाता है
सुनील पाटनी/भीलवाड़ा। वह मूर्ख है जो कहते है सनातन धर्म में स्त्रियों का सम्मान नहीं होता है। सनातन ही वह महान धर्म है जिसमें बेटियों को देवी मान पूजन किया जाता है। इतिहास गवाह है कि रामायण, महाभारत सहित सनातन संस्कृति से जुड़े सभी बड़े युद्ध स्त्री सम्मान की रक्षा के लिए हुए। हमे अपने धर्म की रक्षा करनी है ओर उसके प्रति गर्व का भाव रखना है। ये विचार परम पूज्य शांतिदूत पं. श्रीदेवकीनंदन ठाकुरजी महाराज ने सोमवार दोपहर शहर के आरसी व्यास कॉलोनी स्थित मोदी ग्राउण्ड में विश्व शांति सेवा समिति के तत्वावधान में सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान गंगा महोत्सव के दूसरे दिन कथा में व्यक्त किए। दूसरे दिन कपिल देवहूति संवाद, सती चरित्र, धु्रव चरित्र प्रसंगों की चर्चा की गई। कथा श्रवण के लिए शहरवासियों के साथ आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से भी भक्तों सैलाब मोदी ग्राउण्ड में उमड़ पड़ा। विश्व शांति की कामना के साथ श्रीमद् भागवत कथा का वाचन शुरू करते हुए ठाकुरजी ने कहा कि जिनके जीवन में संतों का सानिध्य मिल जाता है उनकी जिंदगी बदल जाती है। श्रेष्ठ कुल में जन्म लेने पर श्रेष्ठ कर्म अवश्य करने चाहिए। भागवत कथा श्रवण से केवल परमात्मा ही नहीं आपके वह पितृ भी प्रसन्न होते है जो अब इस लोक में नहीं है। भागवत वेद रूपी वृक्ष का पका हुआ ऐसा फल है जिसमें त्याग करने योग्य कुछ नहीं होकर सब कुछ ग्रहण करने योग्य है। मनुष्य जीवन ही वह गति है जो हमारे लिए मोक्ष का द्वार है। भगवान की भक्ति मुक्ति की कामना से होनी चाहिए। भागवत के सम्पूर्ण श्रवण का लाभ किसी जन्म के पुण्य से ही मिल पाता है। जिन्होंने सात दिन सच्चे मन से कथा श्रवण कर ली उनका ऐसा कोई कार्य नहीं है जो गोविन्द नहीं कर सके। आयोजन समिति के अध्यक्ष आशीष पोरवाल ने बताया कि दूसरे दिन व्यास पीठ की सुबह की आरती हनुमान टेकरी के महंत श्रीबनवारीशरण काठियाबाबा, जिला एवं सत्र न्यायाधीश हरिवल्लभ खत्री, प्रभुलाल शिवलाल खोईवाल, रामपाल हनुमान खींची, अमित टांक, एडवोकेट गोपाल अजमेरा, कैलाश आगाल, जगदीशजी रामेश्वरजी खण्डेलवाल, लीलादेवी नौलखा, अल्पना कचोलिया, अंजना शर्मा, शिल्पा काष्ट, संतोष दरक, भावना पोरवाल, सविता खण्डेलवाल एवं वेदिका सोनी ने की। इसी तरह शाम की आरती महन्त बनवारीशरणजी काठियाबाबा के साथ सीलिकरामजी महाराज, मुकेश शर्मा, पुरूषोत्तम कोगटा, श्रीमती मूर्तिदेवीजी, श्री सुरेश पोरवाल, जगदीश दरक, शिवनारायण दरक, विद्यासागर दरक, एडवोकेट रामपाल शर्मा, अहमदाबाद निवासी रंजना कोठारी आदि ने कर व्यास पीठ पर विराजित देवकीनंदनजी ठाकुर से आशीर्वाद प्राप्त किया। अतिथियों का स्वागत आयोजन समिति के संयोजक श्यामसुन्दर नौलखा, अध्यक्ष आशीष पोरवाल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष एडवोकेट हेमेन्द्र शर्मा,समिति के कोषाध्यक्ष राकेश दरक, सचिव धर्मराज खण्डेलवाल, संयुक्त सचिव दिलीप काष्ट आदि पदाधिकारियों ने किया। कथा के दौरान राधे-राधे की गूंज के साथ भजनों पर भक्तगण थिरकते रहे। ठाकुरजी ने आयोजन की बेहतरीन व्यवस्थाओं के लिए आयोजक विश्व शांति सेवा समिति भीलवाड़ा की सराहना करते हुए साधुवाद अर्पित किया।
बच्चों को मत बनाओ पैसा कमाने की मशीन
श्रीदेवकीनंदनजी ठाकुर ने कहा कि बच्चों को आधुनिक शिक्षा दिलाने के नाम पर लाखों रूपए अभिभावक हर वर्ष खर्च कर देते है लेकिन संस्कार मिल रहे या नहीं इस पर ध्यान नहीं है। हम बच्चों को मानव नहीं पैसा कमाने की मशीन बना रहे है। बच्चों को भागवत कथा श्रवण के लिए पांडाल में लाने के लिए प्रेरणा देते हुए उन्होंने कहा कि बच्चों को यदि भागवत कथा श्रवण करा धर्म एवं संस्कारों से जोड़ दिया तो उनका भविष्य एवं तुम्हारा बुढ़ापा दोनों सुधर जाएंगे। यहां बिना किसी शुल्क के ज्ञान और संस्कार की पाठशाला चल रही है जिससे बच्चों को वंचित नहीं रखे। माता-पिता अपने साथ बच्चों को भी कथा श्रवण कराने लाए।
भगवान पर विश्वास करना द्रोपदी से सीखों
महाराजश्री ने महाभारत के प्रसंग की चर्चा करते हुए कहा कि महाभारत का मतलब सत्यमेव जयते यानि जिधर धर्म उधर ही विजय। इसलिए हमेशा धर्म के साथ ही खड़े रहना चाहिए। द्रोपदी वस्त्रहरण प्रसंग से ये बात समझी जा सकती है कि भक्त पर संकट आते ही भगवान आने में एक क्षण का भी विलंब नहीं करते है। भगवान पर विश्वास क्या होता है यह देखना है तो द्रोपदी के जीवन से सीखे। भगवान अपने भक्त का अपमान कभी बर्दाश्त नहीं कर सकते। भगवान ने उसी समय तय कर लिया कि मेरे भक्त के अपमान में जाने-अनजाने शामिल हुए उन सभी से बदला लूंगा ओर इस कारण भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य सभी को दण्ड मिला।
जिनकी जवानी सुधर गई उनकी जिंदगानी सुधर जाती
पं. श्रीदेवकीनंदन ठाकुरजी महाराज ने कहा कि माया के चक्कर में उलझे लोग कथा श्रवण के लिए भी नहीं आते है। संतों के पास फोटो लेने के लिए नहीं विचार लेने के लिए जाना चाहिए। संत के मुखारबिंद से बरसने वाली ईश्वर की वाणी आपके जीवन को सार्थक बना सकती है। उन्होंने कहा कि जिनका मन निर्मल हो वही भगवान को पा सकते है। सबसे निर्मल मन बचपन में होता है। जिनका बचपन सुधर गया उनकी जवानी सुधर जाती है और जिनकी जवानी सुधर गई उनकी जिंदगानी सुधर जाती है। बचपन भगवान की कथाएं सुनकर ही सुधर सकता है। कथा की भक्ति करने वाला मनुष्य कभी कमजोर नहीं होता।
बुरे वक्त में साथ देने वालों का कभी मत छोड़ो
हम सही पथ पर है तो गलत पथ पर चलने वाले कई रोकना चाहेंगे लेकिन परमात्मा पर विश्वास रख आगे बढ़ते रहे। ऐसे व्यक्तियों से हमेशा सावधान रहे जो काम निकलते ही नजर बदल लेते है। किसी से भी परिचय बढ़ाने से पहले उसके स्वभाव के विषय में अवश्य जान लेना चाहिए। हमेशा याद रखे आज जो समय आपका है वह कल किसी ओर का था ओर कल किसी ओर का होगा। जो बुरे वक्त में साथ देने वालों को भूल जाते है उनका अच्छा वक्त भी अधिक समय नहीं रहता है। बुरे वक्त में साथ देने वाले के कष्ट में आने पर कभी आचरण मत बदलो ओर उसको पूरा सहयोग करो।
भजनों से बही भक्ति की धारा, थिरकते रहे सैकड़ो श्रद्धालु
श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन विभिन्न प्रसंगों के वाचन के दौरान बीच-बीच में भजनों की धारा प्रवाहित होती रही। इन भजनों पर सैकड़ो श्रद्धालु तीव्र उमस की परवाह किए बिना अपनी जगह खड़े होकर थिरकते रहे। जैसे ही व्यास पीठ से महाराजश्री भजन शुरू करते कई श्रद्धालु अपनी जगह खड़े होकर नृत्य करने लगते। उन्होंने मीठो लागे रे किशोरी तेरो नाम भज ले राधे-राधे, ह्दय के पट खोल रे तू राधे-राधे बोल रे आदि भजनों ने भक्तगणों को भगवान की भक्ति में रंगते हुए झूमने के लिए मजबूर कर दिया।
श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव में हर दिन अलग-अलग प्रसंगों का वाचन
सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव के तहत प्रतिदिन अलग-अलग प्रसंगों का वाचन व्यास पीठ से धर्मरत्न शांतिदूत श्री देवकीनंदनजी ठाकुर के मुखारबिंद से हो रहा है। इसके तहत तीसरे दिन 26 सितम्बर को जड़भरत संवाद, नृसिंह अवतार, वामन अवतार, 27 सितम्बर को श्रीराम एवं श्रीकृष्ण जन्मोत्सव, 28 सितम्बर को भगवान श्रीकृष्ण की बाललीला, गोवर्धनपूजा, छप्पन भोग, 29 सितम्बर को उद्धव चरित्र, रूक्मिणी विवाह, रास पंचाध्यायी एवं 30 सितम्बर को द्वारिका लीला, सुदामा चरित्र, परीक्षित मोक्ष प्रसंगों का वाचन किया जाएगा एवं व्यास पूजन पूर्णाहुति होंगी।