इंदौर। भारतवर्षीय दिगंबर जैन सर्वजातीय महासंघ के तत्वावधान में 27 अक्टूबर 2023 को भगवान ऋषभदेव जन्मभूमि दिगंबर जैन तीर्थ(बड़ी मूर्ति) अयोध्या उत्तर प्रदेश में दिगंबर जैन समाज की समस्त उपजातियां का सम्मेलन गणिनी प्रमुख वंदनीय आर्यिका ज्ञानमती माताजी ससंघ के सानिध्य में होगा जिसमें दिगंबर जैन धर्म को मानने वाली समस्त उपजातियां अग्रवाल, खंडेलवाल, बघेरवाल, सैतवाल, पल्लीवाल, पोरवाड़, परवार, नरसिंगपुरा,हूमड़, खरौआ, समैया,गोलालारे, गोल सिंघाड़े, चित्तौड़ा, कठनेरा, लमेचू आदि जितनी भी वर्तमान में दिगंबर जैन समाज की उपजातियां उपलब्ध हैं उन सभी के प्रतिनिधि और उनके संगठनों के पदाधिकारी सम्मेलन में सम्मिलित होकर विचार विमर्श करेंगे। ज्ञातव्य है कि दिगंबर जैन धर्म में अनादिकाल से 84 उपजातियां उल्लेखित हैं। यह जानकारी महासंघ के अध्यक्ष कर्मयोगी पीठाधीश स्वस्ति रविंद्र कीर्ति एवं महामंत्री हंसमुख गांधी (इंदौर) ने दी एवं सम्मेलन किए जाने का उद्देश्य बताते हुए कहा कि सामाजिक एकता एवं संगठनों की मजबूती पर विचार विमर्श करना एवं विभिन्न संगठनों द्वारा किए जा रहे कार्य कलापों और गतिविधियों से परस्पर में परिचित होकर उन्हें प्रोत्साहित करना है। गांधी ने बताया कि सम्मेलन की सभी तैयारियां एवं प्रतिनिधियों के आवास एवं भोजन आदि की व्यवस्था अयोध्या तीर्थ क्षेत्र कमेटी द्वारा की जाएगी। सम्मेलन में काफी संख्या में इंदौर सहित देश के विभिन्न भागों से उपजातियां के प्रतिनिधि एवं पदाधिकारियों ने सम्मिलित होने की स्वीकृति प्रदान की है।
आर्यिका ज्ञानमती माताजी का 90वां अवतरण दिवस ज्ञानांजलि महोत्सव के रूप में मनेगा
सर्वजातीय सम्मेलन के दूसरे दिन 28 अक्टूबर शरद पूर्णिमा को भगवान ऋषभदेव जन्मभूमि दिगंबर जैन तीर्थ अयोध्या में ही चातुर्मास कर रहीं देश में दिगंबर जैन समाज की सबसे वरिष्ठ एवं बड़ी माताजी के नाम से प्रसिद्ध गणिनी प्रमुख वंदनीय आर्यिका ज्ञानमती माताजी की 90 वे जन्म जयंती (शरद पूर्णिमा)एवं 72 वे संयम दिवस (दीक्षा दिवस) को ज्ञानांजलि महोत्सव के रूप में अयोध्या में मनाया जाएगा। प्रचार प्रवक्ता राजेश जैन दद्दू ने बताया कि महोत्सव में देशभर से माता जी के अनुयाई एवं श्रद्धालु भक्त सम्मिलित होकर माताजी से आशीर्वाद प्राप्त कर विन्यांजलि प्रस्तुत करेंगे। यह भी एक संयोग है कि दिगंबर जैन समाज के सबसे ज्येष्ठ एवं श्रेष्ठ श्रमण संस्कृति के महामहिम संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का अवतरण भी शरद पूर्णिमा के दिन ही हुआ था।