पाठशाला के विद्यार्थियों ने सहज अभिनय द्वारा समझाया अष्ट कर्मों के दहन का उपाय
जयपुर। जनकपुरी ज्योतिनगर जैन मंदिर में जैन पाठशाला के छोटे बड़े विद्यार्थियों ने दसलक्षण पर्व में सोमवार को एक शिक्षाप्रद नाटक “कर्म का मायाजाल” का आर्यिका विशेष मति माताजी के आशीर्वाद के साथ बहुत ही सुन्दर मंचन किया। पाठशाला के मुख्य संयोजक पदम जैन बिलाला ने बताया कि जैन दर्शन के अनुसार ज्ञानावरण, दर्शनावरण, वेदनीय, मोहनीय, आयु, नाम, गोत्र और अंतराय इन आठ कर्मों की मूल प्रकृतियाँ – स्वभाव हैं। ज्ञानावरण, दर्शनावरण, मोहनीय और अंतराय ये चार कर्म घातिया कहलाते हैं तथा आयु, नाम, गोत्र और वेदनीय ये चार अघातिया कहलाते हैं। इन आठों कर्म को साधारण वार्तालाप और सहज अभिनय के माध्यम से छात्रों ने समझाकर उपस्थित दर्शकों को प्रस्तुति से बांधे रखा। संयोजक सुरेश शाह व राजेंद्र ठोलिया के अनुसार चित्र अनावरण व दीप प्रज्वलन की मंगल क्रिया तथा अतिथियों के सम्मान के बाद बच्चों द्वारा नमोकार व मंगलाचरण किया गया ।श्रीमती किरण जैन के निदेशन में कर्म का मायाजाल नाटक की प्रस्तुति में एक एक कर्म को पात्रों द्वारा क्रम से समझाया गया ।शिक्षिकाओं के भक्ति गीत तथा सभी को आभार के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ। कार्यक्रम में कमलेश पाटनी, विकास साख़ूनियाँ, संजय पाटनी, निशी जैन सहित समाज के गणमान्य सदस्यों की उपस्थिति रही।