गुंसी, निवाई। श्री दिगम्बर जैन सहस्रकूट विज्ञातीर्थ गुन्सी के तत्वावधान में आर्यिका विज्ञाश्री माताजी के सान्निध्य में सुगन्ध दशमी (धूप दशमी) का महोत्सव मनाया गया। श्री दशलक्षण महामण्डल विधान के अंतर्गत आज छठवें दिन उत्तम संयम धर्म की पूजन करने का सौभाग्य महावीर पराणा एवं महावीर पहाड़ी वाले निवाई वालों को प्राप्त हुआ। 29वें साधनामय चातुर्मास के पुण्यार्जक परिवार सुभाष सरिता पाटनी किशनगढ़ है। क्लेश – बाधा हरनेवाली शांतिप्रभु की शान्तिधारा करने का सौभाग्य देवेंद्र भाणजा निवाई, ओमप्रकाश जी ललवाड़ी वाले निवाई, ताराचंद जी रामनगर वाले निवाई वालों ने प्राप्त किया। विज्ञातीर्थ क्षेत्र पर चल रहे विविध आयोजन, आराधनाओं का लाभ यात्रीगण ले रहे हैं। माताजी ने धर्मसभा में उपस्थित धर्मालुओं से कहा कि – प्राणी रक्षण करना और इन्द्रिय दमन करना संयम है। पंचेन्द्रिय तथा मन के विषयों में आसक्ति को घटाना तथा इसके कारण पंचेन्द्रिय जीवों की रक्षा करना ही उत्तम संयम धर्म है। संयम रुपी चाबी से मोक्षमहल के ताले को खोला जा सकता है। संयम रुपी नांव में सवार होकर हम संसार रूपी नदी को पार कर सकते हैं। हमें सीमित बोलना, सीमित सोचना सीमित खाना, सीमित वस्तुएं रखना चाहिए क्योंकि सीमा में रहने वाले मनुष्य पर कभी संकट नहीं आता, वह हमेशा सुरक्षित रहता है। संयम हमारे राग की आग को बुझाता है और वैराग्य की ज्योति जलाता है।