Saturday, September 21, 2024

भाग्यवान होते है वह मनुष्य जिन्हें मिलता है भागवत कथा श्रवण का अवसर: ठाकुर

विश्व शांति की कामना के साथ श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव का आगाज

सुनील पाटनी/भीलवाड़ा। श्रीमद् भागवत कथा सुनने का सौभाग्य देवराज इन्द्र को भी नहीं मिल पाया, उस कथा का यदि एक चरण भी सुनने को मिल जाए तो मनुष्य को स्वयं को भाग्यवान मानना चाहिए। व्यास पीठ के समक्ष पांडाल में भागवत कथा श्रवण का अवसर करोड़ो जन्मों का पुण्य उदय होने पर ही मिलता है। जो यहां कथा सुनने नहीं आ पा रहे ये माने अभी उनके सद्कर्मो की कृपा नहीं हुई है। भागवत कथा श्रवण, संत दर्शन एवं सत्संग के लिए भगवान की कृपा जरूरी है इसके बिना अवसर नहीं मिलता। ये विचार परम पूज्य शांतिदूत पं. श्रीदेवकीनंदन ठाकुरजी महाराज ने रविवार दोपहर शहर के आरसी व्यास कॉलोनी स्थित मोदी ग्राउण्ड में विश्व शांति सेवा समिति के तत्वावधान में सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान गंगा महोत्सव के शुभारंभ अवसर पर हजारों श्रद्धालुओं को कथा श्रवण कराते हुए व्यक्त किए। पहले ही दिन तीव्र उमस ओर बारिश की परवाह किए बिना कथा श्रवण के लिए शहरवासियों का सैलाब उमड़ पड़ा। सुबह देवरिया बालाजी से कथास्थल तक भव्य कलश शोभायात्रा के साथ आयोजन का आगाज हुआ। व्यास पीठ पर भागवत स्थापित होने और उसकी विधिवत पूजा के बाद कथावाचक ठाकुरजी ने विशालकाय भव्य डोम में मौजूद श्रद्धालुओं को भागवत श्रवण का महत्व समझाया और पहले दिन श्रीमद् भागवत महात्मयम्, व्यास नारद संवाद, कुंती स्तुति प्रसंगों पर चर्चा की। मंच पर हनुमान टेकरी के महंत बनवारीशरण काठियाबाबा आदि संतों का सानिध्य भी रहा। कथावाचक श्रीदेवकीनंदन ठाकुर ने विश्व शांति की कामना के साथ श्रीमद् भागवत कथा का वाचन शुरू किया। इसके लिए शांति मंत्र ‘सुखी हो संसार में सब दुखिया रहे न कोई’ का जाप भी किया। उन्होंने कहा कि भागवत कथा सुनने पर दरिद्र धनवान हो जाएगा, रोगी निरोगी काया प्राप्त करेगा, निसंतान को संतान प्राप्ति होगी, पापी के पाप क्षय होंगे ओर जिसके पास सब कुछ है उसे मोक्ष का मार्ग मिलेगा। हमारे आनंद सीमित पर परमात्मा के आनंद असीमित व अनंत है। जगत के एक ही प्रोफेसर भगवान श्रीकृष्ण है। जो गीता में नहीं है वह जगत के किसी धर्मशास्त्र में नहीं है। ठाकुरजी महाराज ने कहा कि सत्ता का मतलब स्वयं पर राज करना होता है जो हम आज तक नहीं कर पाए है। हम दुनिया पर राज्य करना चाहते है पर हमारा मन हमारे पर राज्य करता है। जिस दिन मन पर राज्य करने लग जाएगे सत्ता बढ़ जाएगी। उन्होंने कहा कि अच्छे को अच्छा ओर गलत को गलत कहने की हिम्मत आ जाए तो वही सही मायने में शासन है। संत बनना बहुत कठिन कार्य है उसके लिए बहुत कुछ छोड़ना पड़ता है। कथा श्रवण करने के लिए आने वाले भक्तों को आते ओर जाते समय व्यास पीठ पर रखे भागवतजी को नमन अवश्य करना चाहिए। प्रथम दिन व्यास पीठ की सुबह की आरती राधेश्याम चेचाणी, प्रहलादराय पोरवाल, रामकिशन सोनी, सत्यनारायण मूंदड़ा, शोभागचन्द्र खण्डेलवाल, विधायक गोपाल खण्डेलवाल, कैलाश कोठारी, नगर परिषद में नेता प्रतिपक्ष धर्मेन्द्र पारीक ने एवं शाम की आरती हनुमान टेकरी के महंत श्रीबनवारीशरण काठियाबाबा, सुशील डांगी, अमित टांक, नलिनी काबरा, रामचन्द्र शास्त्री महाराज आदि ने कर व्यास पीठ पर विराजित देवकीनंदनजी ठाकुर से आशीर्वाद प्राप्त किया। कथा के दौरान राधे-राधे की गूंज के साथ भजनों पर सैकड़ो श्रोता थिरकते रहे। आयोजन समिति की तरफ से कथा स्थल पर वाहन पार्किंग, पेयजल सहित सभी जरूरी सुविधाओं का प्रबंध किया गया था।

भजनों पर जमकर थिरकते रहे श्रद्धालुओं के कदम

श्रीमद् भागवत कथा के पहले ही दिन विभिन्न प्रसंगों के वाचन के दौरान बीच-बीच में भजनों की गंगा भी प्रवाहित होती रही। भजनों पर सैकड़ो श्रद्धालु महिला-पुरूष जमकर थिरके। जैसे ही व्यास पीठ से महाराजश्री भजन शुरू करते कई श्रद्धालु अपनी जगह खड़े होकर नृत्य करने लगते। उन्होंने भक्तिमति मीरां से जुड़े प्रसंग का जिक्र करते हुए मीरा दिवानी हो गई, मीरा मस्तानी हो गई भजन प्रस्तुत किया तो सैकड़ो श्रद्धालु नृत्य करने लगे। कथा के दौरान उन्होंने मुझे वृन्दावन धाम बसा ले रसिया आदि भजन प्रस्तुत करके भी श्रद्धालुओं को भगवान की भक्ति के रंग में रंग जाने के लिए प्रेरित किया।

कथा में गूंजते रहे राधे-राधे के जयकारे

श्रीमद् भागवत कथा में पहले ही दिन भक्ति की अविरल धारा प्रवाहित होने लगी। व्यास पीठ से देवकीनंदनजी ठाकुर ने व्यास पीठ से कई बार राधे-राधे का जोर से उद्घोष श्रद्धालुओं से कराया। पूरी कथा के दौरान रह-रहकर राधे-राधे के जयकारे से पांडाल गूंजायमान होता रहा।

भव्य कलश शोभायात्रा के साथ हुआ श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ

श्री राधे-कृष्ण के जयकारे गूंज रहे थे तो स्वागत की होड़ थी। सैकड़ो की संख्या में मातृशक्ति सिर पर कलश धारण किए हुए थी तो पूरा वातावरण धर्ममय हो गया था। ये नजारा रविवार सुबह विश्व शांति सेवा समिति के तत्वावधान में ख्यातनाम कथावाचक परम पूज्य शांतिदूत श्री देवकीनंदनजी ठाकुरजी महाराज के मुखारबिंद से आयोजित हो रहे सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान गंगा महोत्सव के शुभारंभ अवसर पर देवरिया बालाजी से निकाली गई भव्य विशाल कलश शोभायात्रा में दिखा। आयोजन समिति के अध्यक्ष आशीष पोरवाल ने बताया कि शोभायात्रा में हनुमान टेकरी के महंत श्रीबनवारीशरण काठियाबाबा, उदासीन आश्रम के महामंडेलश्वर हंसारामजी महाराज, संकटमोचन हनुमान मंदिर के महन्त बाबूगिरीजी महाराज, निम्बार्क आश्रमण के महन्त मोहनशरण शास्त्री, रामचन्द्र शास्त्री महाराज आदि के सानिध्य में निकाली गई कलश शोभायात्रा के स्वागत के लिए जगह-जगह तोरणद्वार लगाए गए थे। शोभायात्रा में श्रीमद् भागवत कथा की पौथी प्रहलाद पोरवाल, रामनारायण बिड़ला, रमेशचन्द्र काष्ट आदि ने बारी-बारी से अपने सिर पर धारण की। शोभायात्रा में चुनरी पहने हुए सैकड़ो महिलाएं सिर पर कलश धारण करके चल रही थी। शोभायात्रा में विधायक गोपाल खण्डेलवाल, रामकिशन सोनी, आयोजन समिति के संयोजक श्यामसुन्दर नौलखा, अध्यक्ष आशीष पोरवाल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष एडवोकेट हेमेन्द्र शर्मा,समिति के कोषाध्यक्ष राकेश दरक, सचिव धर्मराज खण्डेलवाल, संयुक्त सचिव दिलीप काष्ट आदि पदाधिकारी भी शामिल थे। शोभायात्रा विभिन्न मार्गो से होते हुए कथास्थल मोदी ग्राउण्ड पहुंच सम्पन्न हुई। इससे पूर्व सुबह उदयपुर से भीलवाड़ा पहुंचने पर शांतिदूत श्री देवकीनंदनजी ठाकुरजी महाराज का विश्व शांति सेवा समिति के पदाधिकारियों के साथ सुरेन्द्रजी डांगी, सुशीलजी डांगी आदि ने स्वागत किया।

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