Saturday, November 23, 2024

मन और आत्मा को शुद्ध और सरल बनाने से होगी सत्य की प्राप्ति : प्रो जिनेंद्र जैन

आठ कर्म दहन के लिए धूप दशमी पर्व मनाया

लाडनूं। स्थानीय दिगंबर जैन मंदिर लाडनूं में दसलक्षण पर्व के छठे दिन धूप दशमी पर्व हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया। जैन समाज के मंत्री विकास पांड्या ने कहा कि जैन समाज के लोगों ने नगर के सभी मंदिरों जाकर अपने कर्मों के दहन की कामना करते हुए धूप चढ़ाई। उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि दसलक्षण पर्व के अवसर पर प्रतिदिन धार्मिक सांस्कृतिक, प्रेरणास्पद एवं ज्ञानवर्धक प्रतियोगिताएं आयोजित हो रही है। जिसका कुशल संयोजन समाज के लोगों द्वारा किया जा रहा है। इस अवसर पर प्रवचन सभा को संबोधित करते हुए जैन दर्शन के मनीषी डॉ सुरेंद्र जैन ने कहा कि आठ कर्मों ज्ञानावरण, दर्शनावरण, वेदनीय, मोहनीय, आयु, नाम, गोत्र और अंतराय है। इन आठ कर्मों की मूल प्रकृतियाँ – स्वभाव हैं। ज्ञानावरण, दर्शनावरण, मोहनीय और अंतराय ये चार कर्म घातिया कहलाते हैं क्योंकि ये जीव के ज्ञान, दर्शन, सम्यक्त्व, वीर्य आदि गुणों का घात करने वाले हैं। इस अवसर पर प्राकृत एवं संस्कृत विभाग, जैन विश्व भारती विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष प्रो जिनेंद्र कुमार जैन ने कहा कि उत्तम सत्य धर्म हमें यही सिखाता है कि आत्मा की प्रकृति जानने के लिए सत्य आवश्यक है और इसके आधार पर ही मोक्ष को प्राप्त करना मुमकिन है। अपने मन आत्मा को सरल और शुद्ध बना लें तो सत्य अपने आप ही आ जाएगा। इस अवसर पर जैन समाज के उपाध्यक्ष अशोक सेठी, पूर्व अध्यक्ष सुरेश कासलीवाल, निर्मल पाटनी, अंकुश सेठी, आकाश कासलीवाल, सुरेंद्र सेठी, महेंद्र सेठी, अशोक पांड्या, महावीर चूड़ीवाल, महिलाओं में रंजू पांड्या, प्रेम चूड़ीवाल, रतनीबाई बड़जात्या, सुमन कासलीवाल, सुशीला कासलीवाल, डॉ मनीषा जैन, वीणा जैन, महिमा जैन, संतोष सेठी, देशना जैन सहित सैकड़ो लोगों ने दसलक्षण महामंडल विधान एवं 24 तीर्थंकर विधान की पूजा अर्चना की।

- Advertisement -spot_img

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest article