जयपुर।नेमीसागर कालोनी स्थित जैन मंदिर में दसलक्षण महापर्व के चौथे दिन उत्तम शौच धर्म की पूजन की गई। इस अवसर पर विधानाचार्यं पंडित रमेश जैन ने शौच धर्म पर प्रकाश डालते हुए बताया कि बाहरी शुद्धि के साथ साथ मन की पवित्रता भी आवश्यक है। आंतरिक शुद्धि के बिना बाहरी शुद्धि किसी काम की नही हैं। अध्यक्ष जे के जैन कालाडेरा ने बताया कि सांयकाल मे श्रमण संस्कृति संस्थान के अधीन संचालित बालिका महाविद्यालय छात्रावास की बालिकाओं द्वारा ‘रानी अहिल्या बाई होलकर’ नाटक प्रस्तुत किया गया। शौच धर्म की पूजन स्थापना प्रदीप निगोतिया द्वारा की गई।सायंकालीन आरती राकेश – सुनीता पहाड़िया, दीप प्रज्जवलन सूरज – सीमा सेठी एवं परिवार द्वारा की गई। कार्यक्रम में श्रमण संस्कृति संस्थान के कार्याध्यक्ष प्रमोद पहाड़िया, कोषाध्यक्ष ऋषभ जैन, सहसचिव दर्शन जैन एवं समाज के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। नाटक का निर्देशन रेखा जैन द्वारा किया गया।
उत्तम सत्य व्रत पालीजे, पर विश्वासघात नहीं कीजे
शनिवार को दसलक्षण महोत्सव में श्रद्धालुओं ने नेमीसागर कालोनी में उत्तम सत्य धर्म की पूजा की। साथ ही शाम को संगीतमय भक्तामर का आयोजन किया गया जिसमे श्रावक – श्राविकाएं संगीतकार आदि जैन के भक्ति गीतों पर जमकर झूमे। पर्व के पांचवें दिन श्रावक-श्राविकाओं से सत्य धर्म के पालन का संकल्प लिया। इस अवसर पर विधानाचार्यं पंडित रमेश जैन ने कहा कि सत्य बोलने से भावों में निर्मलता आती है। उन्होंने कहा कि ‘उत्तम सत्य व्रत पालीजे, पर विश्वासघात नहीं कीजे’। अर्थात् मनुष्य को उत्तम सत्य धर्म का सदैव पालन करना चाहिए। कभी किसी के साथ विश्वासघात नहीं करना चाहिए। अध्यक्ष जे के जैन कालाडेरा ने बताया कि आज की उत्तम सत्य धर्म की पूजन स्थापना अनिल जैन धुआं वालो ने की। सायंकालीन आरती वह एवं संगीतमय भक्तामर अनुष्ठान रिद्धि सिद्धि मंत्रों के साथ के पुण्यार्जक विकास पाटनी दाता वाले थे।