Saturday, September 21, 2024

“सादा जीवन उच्च विचार” की भावना भाना ही “उत्तम शौंच धर्म” आचार्य सौरभ सागर

9 वें तीर्थंकर भगवान पुष्पदंत स्वामी का मनाया मोक्ष कल्याणक, चढ़ाया निर्वाण लड्डू

जयपुर। जैन धर्म में सबसे पवित्र माने गए पर्वों में से एक पर्व दशलक्षण पर्व जयपुर के जैन मंदिरों हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है प्रताप नगर सेक्टर 8 स्थित शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में आचार्य सौरभ सागर महाराज के सानिध्य में जैन श्रावक और श्राविकाएं अपने त्याग, तप और साधना में लीन होकर जिनेन्द्र आराधना कर रहे है। शुक्रवार को दसलक्षण पर्व की परीक्षा के चौथे दिन आचार्य सौरभ सागर महाराज ने ” दसलक्षण पर्व, उत्तम शौंच धर्म और 9 वें तीर्थंकर भगवान पुष्पदंत स्वामी के मोक्ष कल्याणक पर्व के अवसर पर प्रातः 8.30 बजे धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि ” उत्तम शौच भावना, प्राणी पेट तो भर सकता है लेकिन पेटी नहीं भर पाता किन्तु आज सभी अपनी पेटी भरने में लगे है। इसलिए मन की पवित्रता नष्ट होती जा रही है और 99 के चक्कर में लगे हुए है। ईमानदारी से पेट भरा जा सकता है लेकिन पेटी भरने के लिए तो बेईमानी, अन्याय और अनीति से ही कमाना पड़ता है तभी तिजोरी भर सकती है। धर्मसभा के दौरान आचार्य सौरभ सागर महाराज ने कहा कि ” अधर्म से कमाया हुआ द्रव्य का नाश भी दवाइयों में नष्ट हो जाता है अतः कभी ऑपरेशन में, कभी जमानत कराने में, कभी इलाज में अथवा छापा पड़ने से नष्ट होता रहता है। लोभी व्यक्ति के साथ पांचो पाप भी जुड़ जाते है इसलिए वह पांच पापों की सजा भोगने का अधिकारी हो जाता है। हमारी आवश्यकता सीमित हो तो हमे लोभ का सहारा नहीं लेना पड़ेगा, संतोषी प्राणी हमेशा परिग्रह को कम रखेगा और सादा जीवन उच्च विचार के आदर्शो को अपनाकर चलेगा, हमारे आचार्यो का कहना है – एक बार अज्ञानतावश ढगे जाना अच्छा है लेकिन लालच वश दूसरों को ठगना बहुत बुरा है, एक बार बूरे संस्कारो का बीज बो दिया जाय फिर वृद्धावस्था पर्यन्त वो गलत कार्य करता रहता है। अतःआवश्यकता है सही राह निर्देशन की” और “अधिक चाहिए” यह प्रवृति छोड़ संतोष को धारण करना चाहिए। सद्गुणों की प्राप्ति अधिक से अधिक हो यह भावना बढ़ती रहे और परिग्रह संचय का भाव कम से कम रहे यही उत्तम शौंच धर्म का सार है।” प्रचार संयोजक सुनील साखुनियां ने बताया की शुक्रवार को प्रातः 6.15 बजे से आचार्य सौरभ सागर महाराज के सानिध्य एवं पं संदीप जैन सेजल के निर्देशन में मूलनायक शांतिनाथ भगवान का स्वर्ण एवं रजत कलशों से कलशाभिषेक किया गया, जिसके पश्चात आचार्य श्री के मुखारविंद विश्व में कल्याण की भावना और सुख – सम्रद्धि की कामना करते हुए वृहद शांतिधारा की गई, इस दौरान जैन धर्म के 9 वें तीर्थंकर भगवान पुष्पदंत स्वामी के मोक्ष कल्याणक पर्व के अवसर पर सामूहिक निर्वाण लड्डू चढ़ाया गया। इस अवसर पर उपस्थित श्रद्धालुओं ने निर्वाण कांड पाठ, मंगलाष्टक पाठ का गुणगान कर जयमाला अर्घ के साथ 9 वें तीर्थंकर को 9 किलो का निर्वाण लड्डू अर्पित किया और दसलक्षण पर्व पूजन, उत्तम शौंच धर्म पूजन सहित भगवान पुष्पदंत स्वामी का अष्ट द्रव्यों के साथ पूजन कर जिनेन्द्र आराधना की और कर्मों की निर्जरा के अर्घ चढ़ाए। शनिवार को दसलक्षण पर्व का पांचवा दिन रहेगा और उत्तम सत्य धर्म पर्व मनाया जायेगा और पूजन किया जायेगा।
संकलन: अभिषेक जैन बिट्टू

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