पटना। कदमकुआँ कांग्रेस मैदान स्थित श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर में दसलक्षण पर्व के दौरान विशेष पूजा अर्चना चल रही है। जिसके लिए दिगंबर जैन समाज ने भोपाल से पंडित डॉक्टर शीतल जैन शास्त्री जी को आमंत्रित किया है। दस दिनों तक चलने वाले इस महापर्व का आज चतुर्थ दिवस उत्तम शौच धर्म का दिन है। सुचिता को शौच धर्म कहा गया है, सुचिता का संबंध मन की पवित्रता एवं निर्मलता से होता है। जब तक व्यक्ति कसायों से जकड़ा हुआ है उसका मन पवित्र नहीं हो सकता मन में निर्मलता नहीं आ सकती। क्रोध, मान, माया, लोभ, जब तक हम अपने मन से इन कसायों को नहीं निकाल देते हमारा मन पवित्र नहीं हो सकता आत्मा को मलिन करने वाला तत्व कसाय हैं। एक एक कसाय हमारी आत्मा को विकलांग बना रही है। क्रोध में व्यक्ति अंधा हो जाता है, मानी व्यक्ति को कुछ सुनाई नहीं देता है, मायाचारी ने शब्द के अर्थ बदल दिए एवं लोभ तथा लालच ने तो व्यक्ति की नाक ही कटवा दी। हम कल्पना करें किसी ऐसे व्यक्ति की जिसकी आंख ना हो, कान ना हो, जुबान ना हो एवं नाक ना हो। ठीक इसी प्रकार यह कसाएं हमारी आत्मा को दूषित करने में लगी हुई है। जैन श्रद्धालु प्रवीण जैन ने कहा कि उत्तम शौच धर्म हमें लोभ एवं लालच को त्याग कर हम अपनी आत्मा का कल्याण करने का मार्ग प्रशस्त करता है। यही उत्तम शौच धर्म का अभिप्राय है।