दसलक्षण महापर्व का तृतीय दिवस उत्तम आर्जव धर्म के रूप में मनाया गया
वी के पाटोदी/सीकर। दसलक्षण महापर्व का तृतीय दिवस उत्तम आर्जव धर्म के रूप में मनाया गया। शहर के समस्त जैन मंदिरों में इस महापर्व के दौरान दस दिवस विशेष धर्म प्रवाहना हो रही हैं। विवेक पाटोदी ने बताया कि प्रातः काल शहर के सभी जैन मंदिरों में जिनेन्द्र प्रभु के प्रासुक जल से कलशाभिषेक हुए ,इसके पश्चात शांतिधारा व मंडल विधान पूजन हुआ। उत्तम आर्जव धर्म कहता है कि हमें अपने जीवन को ऊंचाइयों तक पहुंचने के लिए कुछ नहीं करना बस सरल बने रहना है, सरल बने रहने में कोई मेहनत नहीं है सबसे सरल काम है सरल बने रहना। पंडित जयंत शास्त्री ने बताया कि हमें अपने जीवन में अपना मोक्षमार्ग प्रस्तुत करने के लिए सरलता पूर्वक जीवन यापन करना चाहिए। उत्तम आर्जव धर्म हमें सिखाता है कि किसी के साथ भी छल कपट नहीं करके जो मन में वचन में हो उसे ही क्रियान्वयन में लाना चाहिए। छल कपट करने वाले व्यक्ति का ये संसार तो बिगड़ता ही है और वह अपने अगले भव को भी बिगाड़ लेता है। आर्जव शब्द ऋजुता से बना है जिसका अर्थ सरलता, निष्कपटता का भाव है। पंडित आशीष जैन शास्त्री ने बताया कि उत्तम आर्जव धर्म अपने हृदय में सरलता व निष्कपटता के साथ जीना सिखाता है। जैन धर्म के ये दस धर्म मानव क्रमानुसार आत्मसात कर अपना जीवन जिये तो वो संसार में भी प्रशंसा का पात्र रहता है और इन धर्मों के द्वारा पुण्यार्जन कर भावी जीवन भी सुधार सकता है। बड़ा मंदिर कमेटी के मंत्री अजित जयपुरिया ने बताया कि बड़ा जैन मंदिर में प्रातः शांतिधारा का सौभाग्य नानगराम सेठी परिवार, संतोष बिनायक्या परिवार व सेठी परिवार श्रीमाधोपुर द्वारा की गई। दंग की नसियां मंदिर जी में शांतिधारा का सौभाग्य चमेली देवी मोदी परिवार व नवरतन छाबड़ा बीड़ वालो को प्राप्त हुआ। नया मंदिर कमेटी ने बताया कि मंदिर जी में प्रातः प्रथम अभिषेक का सौभाग्य राजकुमारी काला चारणवास वाले परिवार को प्राप्त हुआ। देवीपुरा जैन मंदिर कमेटी के अध्यक्ष पदम पिराका व नरेश लालास ने बताया कि उत्तम आर्जव धर्म पर महाआरती सहित सम्पूर्ण मांगलिक क्रियाओं का सौभाग्य भागचंद पंकज कुमार सुनील कुमार छाबड़ा दुधवा परिवार को प्राप्त हुआ। खेत स्थित आदिनाथ जैन मंदिर के रवि पाटनी ने बताया कि मंदिर जी में दसलक्षण महापर्व के दौरान दस दिन विशेष पूजा अर्चना हो रही है । प्रवक्ता विवेक पाटोदी ने बताया कि सेठी कॉलोनी स्थित आदिनाथ जैन मंदिर में इस दसलक्षण पर्व पर इस बार संगीतमय पूजन चल रहे है । भाद्रपद माह में 10 दिवस तक चलने वाले इस पर्वाधिराज दसलक्षण महापर्व में हर बार की तरह इस बार भी समाज के युवा व बच्चों में उत्साह देखने को मिल रहा है , सभी जैन मंदिरों में प्रातः अभिषेक ,पूजन में बड़े – बुजुर्गो के साथ युवा भी उत्साह पूर्वक सम्मिलित हो रहे है व धर्म प्रवाहना कर रहे है। दीवान जी की नसियां में ब्रह्चारिणी बबिता दीदी ने बताया कि आर्जव धर्म का उत्तम लक्षण है, वह मन को स्थिर करने वाला है, पाप को नष्ट करने वाला है और सुख का उत्पादक है। इसलिए इस भव में इस आर्जव धर्म को आचरण में लावो, उसी का पालन करो और उसी का श्रवण करो, क्योंकि वह भव का क्षय करने वाला है। जहाँ पर कुटिल परिणाम का त्याग कर दिया जाता है वहीं पर आर्जव धर्म प्रगट होता है। यह अखण्ड दर्शन और ज्ञानस्वरूप है तथा परम अतींद्रिय सुख का पिटारा है। सांयकाल ब्रह्मचारिणी सरिता दीदी व बबिता दीदी के सानिध्य में हुए सांस्कृतिक कार्यक्रमों की बेला में समता बहु मंडल द्वारा जैन धर्म की प्रवाहना लघु नाटिका प्रस्तुत की गई। साथ ही प्रश्न मंच, धार्मिक नृत्य आदि की प्रस्तुति दी गई। मुख्य अतिथि अनिल छाबड़ा पालवास, दीप प्रज्ज्वलनकर्ता मदनलाल पहाड़िया मुंडोता व पुरस्कार प्रायोजक विमल झांझरी रेटा थे।