मन वचन काय तीनो संग मिलने से ही खुलेगा मुक्ति का द्वार: विधानाचार्य
जयपुर। जनकपुरी ज्योतिनगर जैन मंदिर में दस लक्षण पर्व के तीसरे दिन आर्जव धर्म की पूजा भक्ति भाव के साथ हुई। प्रबन्ध समिति अध्यक्ष पदम जैन बिलाला ने बताया कि प्रातः मण्डल पर विश्व शान्ति हेतु बीजाक्षर युक्त शान्तिधारा करने का सोभाग्य जे के जैन व कनफूल देवी कासलीवाल परिवार को तथा वेदी पर सोभाग मल अजमेरा परिवार को मिला। विधानाचार्य शिखर चंद जैन ने आर्जव धर्म की पूजा का भावार्थ समझाते हुए कहा कि निष्कपट हृदय व सरल परिणाम का होना ही आर्जव भाव है। मन, वचन और काय इन तीनों के स्वरों में सामंजस्य स्थापित करने से ही मुक्ति का द्वार खुलता है। सभी ने मधुर संगीत के साथ भक्ति करते हुए मगन होकर पूजा का आनन्द लिया। दोपहर में तत्वार्थ सूत्र के तीसरे अध्याय का वाचन, शाम को सामयिक, आरती व प्रवचन का कार्यक्रम हुआ। रात्रि में जैन युवा मंच द्वारा सूक्षम नाटिकाओं का कार्यक्रम धार्मिक अभिनय हुआ जिसमे श्रेष्ठ तीन को अतिथि आर ए एस राहुल जैन द्वारा पुरुष्कृत किया गया।