सहस्रकूट विज्ञातीर्थ पर हो रहा है श्री दशलक्षण महामण्डल विधान
गुंसी। श्री दिगम्बर जैन सहस्रकूट विज्ञातीर्थ गुन्सी के तत्वावधान में आर्यिका विज्ञाश्री माताजी के ससंघ सान्निध्य में दशलक्षण महापर्व के शुभ अवसर पर श्री दशलक्षण महामण्डल विधान का आयोजन चल रहा है। उत्तम मार्दव धर्म पूजन के पुण्यार्जक परिवार बनने का सौभाग्य नरेंद्र संघी निवाई वालों ने प्राप्त किया। शांतिनाथ भगवान के चरण कमलों में भक्ति पूर्वक मंडल पर 11 अर्घ्य समर्पित किए गए। तत्पश्चात गुरु भक्तों ने मिलकर भगवान की मंगल आरती उतारीः शांतिप्रभु की अखंड शांतिधारा करने का सौभाग्य प्रमोद जैन जबलपुर, अरविंद ककोड वाले निवाई वालों को प्राप्त हुआ। माताजी ने धर्म सभा में उपस्थित धर्मप्रेमियों को संबोधित करते हुए कहा कि – बीज को वृक्ष बनने के लिए मिटना पड़ता है। बूंद को सागर बनने के लिए मिटना पड़ता है। उसी प्रकार भगवान बनने के लिए व्यक्ति को पहले मिटना पड़ता है। माताजी ने कहा – विनय ही मोक्ष का द्वार है। जो व्यक्ति जितना झुकता जाएगा उतना ही ऊपर उठता जाएगा। कहा भी है – लघुता से प्रभुता मिले, प्रभुता से प्रभु दूर। अहंकारी व्यक्ति का कोई सम्मान नहीं। विनयवान का ही सम्मान होता है। रावण अहंकार के वशीभूत होकर नरक में चला गया तथा मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने विजय प्राप्त की एवं विनय गुण से सबके दिलों को भी जीत लिया।