आत्मा को जागृत करने का अवसर होता है पर्व: आर्यिका विशेष मति
जयपुर। जनकपुरी ज्योतिनगर जैन मंदिर में मंगलवार से बालयोगिनी आर्यिका विशेष मति माताजी के सानिध्य में दस लक्षण महापर्व महोत्सव भक्ति भाव के साथ शुरू हुआ। प्रबन्ध समिति अध्यक्ष पदम जैन बिलाला ने बताया कि प्रातः भगवान आदिनाथ की अष्ट धातु की प्रतिमा को विधान मण्डल पाण्डुशीला पर विराजित कर मंगल भावनाओं के साथ विश्व शान्ति हेतु बीजाक्षर युक्त शान्तिधारा आर्यिका श्री द्वारा बोली गई। शान्तिधारा करने का सोभाग्य सुनील अलका सेठी लवकुश नगर परिवार को मिला। इसके बाद जहाज़पुर प्रणेत्री गणिनी आर्यिका स्वस्ति भूषण माताजी रचित दसलक्षण विधान पूजन शिखर चन्द किरण जैन द्वारा साज बाज के साथ कराया गया। जनकपुरी में चावल से बहुत ही सुंदर रंगीन कलात्मक विधान मण्डल तैयार किया गया है। इस मध्य बालयोगिनी आर्यिका विशेष मति माताजी ने अपने प्रवचन में कहा की सभी को एक बार फिर अवसर मिला है स्वयं को जानने का। दुनिया को जानने से कोई लाभ नहीं होगा। पर्व का अर्थ होता है स्वयं की आत्मा को जागृत करने का अवसर और इस दस लक्षण पर्व में भी नर से नारायण बनकर चारों और से आत्मा को जागृत कर धर्म मय बनाये। आर्यिका श्री ने आज के क्षमा धर्म के बारे में कहाँ की क्षमा को विवेक सहित पालन करे तथा पहले क्षमा के भाव को समझे। दिन में तत्वार्थ सूत्र का वाचन हुआ तथा शाम को आर्यिका श्री ने सामायिक करायी जिसके बाद आरती व रिद्धि मन्त्र युक्त ध्यान का आयोजन हुआ।