गुंसी, निवाई। श्री दिगम्बर जैन सहस्रकूट विज्ञातीर्थ गुन्सी के तत्वावधान में गणिनी आर्यिका 105 विज्ञाश्री माताजी के ससंघ सान्निध्य में त्रिलोक तीज (रोट तीज) पर्व बड़े ही हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया। प्रातःकालीन अभिषेक, शान्तिधारा करने भक्तों का मेला लगा था। त्रिलोक तीज व्रत पर गुरु माँ ने अनशन व्रत को धारण कर अपने तप को वृद्धिंगत किया। आगामी 19 सितम्बर से दश लक्षण पर्व पर श्री दशलक्षण महामण्डल विधान का आयोजन होगा। सहस्रकूट विज्ञातीर्थ के इतिहास में प्रथम बार गुरु भक्तों द्वारा पर्वराज दश लक्षण महापर्व मनाया जायेगा। माताजी ने धर्मसभा में उपस्थित श्रद्धालुओं से कहा कि दशलक्षण पर्व हमें गुणों की अभिवृद्धि करने की शिक्षा देता है। पतित से परमात्मा बनने की शिक्षा हमें दस धर्मों से ही मिलती है। इन दस दिनों में जो भी श्रावक देव – शास्त्र – गुरु की सेवा – पूजा – आराधना करता है वह अक्षय पुण्य का संचय करता है। पुराने पापों को धोने के लिए दश धर्म वॉशिंग मशीन का काम करते हैं। क्षमा से क्रोध को, मार्दव से मान को, आर्जव से माया को और शौच से लोभ को धो डालो। यही धर्म का सार है।