इंजिनियर अरुण कुमार जैन
साधना,संयम का शुभ अवसर,
चलें धर्म के पास,
आत्मावलोकनकर कुछ बढ़ लें,
निज आत्म के पास.
उत्तमक्षमा, मार्दव, आर्जव,
मन की गांठे खोलें,
सत्य, शौच, संयम धारण कर,
प्रभु चरणों को धो लें.
तप व त्याग जो जीवन में हो,
हम सब श्रेष्ठ बनेंगे,
आकिंचन,ब्राह्मचार्यधारण कर,
नव सोपान चढ़ेंगे.
यह सब जीवन में आया तो,
खुला मुक्ति का द्वार,
सेवा, करुणा, प्रेम, नेह से,
वंदन बारम्बार. साधना, संयम..
पर्वराज दस लक्षण के दिन,
हैं अनुपम उपहार,
तन, मन को पावन कर करता,
पापों से उद्धार.
आओ हम सब इस अवसर का,
पूरा लाभ उठायें,
क्षमाकरें व क्षमा माँग कर,
मैत्री मुदिता लाएं.
पंचपरमेष्ठी वंदन करते,
मन में हर्ष अपार,
पर्वराज दस लक्षण अवसर,
है अनुपम उपहार.