Friday, November 22, 2024

दिगम्बर जैन धर्मावलम्बियों ने हर्षोल्लास पूर्वक मनाया रोट तीज का पर्व

जैन मंदिरों में श्रृदालुओं ने तीन चौबीसी विधान की कि पूजा अर्चना की

फागी। कस्बे सहित परिक्षेत्र के चौरू, चकवाड़ा,नारेडा, मंडावरी, मेहंदवास, निमेड़ा लदाना सहित सभी दिगम्बर जैन धर्मावलंबियों ने आज रोट तीज का पर्व हर्षोल्लास पूर्वक मनाया ,फागी महिला मंडल की चित्रा गोधा एवं चंद्रकांता सिंघल ने बताया कि इस मौके पर आज मंदिरों में तीन चौबीसी विधान की पूजा अर्चना की गई तथा घरों में रोट खीर बनाकर अन्य धर्मों के लोगों, मित्रों को रोट खीर खिलाया गया, जैन महासभा के प्रतिनिधि राजाबाबू गोधा ने बताया कि जैन समाज में इस त्यौहार का बडा महत्व है, आज श्रद्धालुओं द्वारा रोट, घी, बूरा एवं तुरई का रायता बनाया गया तथा जिनालयों में श्री जी के समक्ष उक्त व्यंजन अर्पित कर सुख शांति और समृद्धि की कामना की गई, पंडित संतोष बजाज ने बताया कि भाद्रपद शुक्ला तृतीया (तीज) को 72 कोठे का मण्डल मांडकर चौबीस महाराज की तीन चौबीसी पूजा विधान की पूजा की गई, महिला मंडल की संतोष बावड़ी,सुशीला बावड़ी,मैना बावड़ी,मीरा झंडा एवं संगीता कागला ने बताया कि इस पूजा विधान से लक्ष्मी अटल रहती है, इस दिन महिलाओं द्वारा रोट तीज का व्रत एवं उपवास भी किया जाता है, समाज की सुनीता सांघी,सुनिता मोदी तथा पूर्णिमा गोधा ने अवगत कराया कि दिगम्बर जैनधर्मावलंबियों के षोडशकारण एवं मेघमाला व्रत शनिवार 30 सितम्बर तक चलेगे तथा मंगलवार 19 सितम्बर से दशलक्षण महापर्व प्रारम्भ होगें जो गुरुवार 28 सितम्बर तक चलेगे,इस दौरान दिगम्बर जैन मंदिरों में पूजा अर्चना के विशेष आयोजन होगें तथा जैन धर्म में उत्तम क्षमा, उत्तम मार्दव, उत्तम आर्जव, उत्तम शौच, उत्तम सत्य, उत्तम संयम, उत्तम तप, उत्तम त्याग, उत्तम आकिंचन्य एवं उत्तम ब्रम्हचर्य सहित सभी दस धर्मों की दसलक्षण पूजा अर्चना की जायेगी, इन दस दिनों में प्रातः से जैन मंदिरों में अभिषेक, शांतिधारा, सामूहिक पूजा, मुनिराजो, आर्यिकाओं के विशेष प्रवचन श्रृंखला, श्रावक संस्कार साधना शिविर, महाआरती, धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे, धर्मावलंबी तीन दिन, पांच दिन, आठ दिन, दस दिन, सोलह दिन, बत्तीस दिन सहित अपनी क्षमता एवं श्रद्धानुसार अलग-अलग अवधि के उपवास कर धर्म लाभ प्राप्त करेंगे जिसमें निराहार रहकर केवल मात्र एक समय पानी लेते हैं, रविवार, 24 सितम्बर को सुगन्ध दशमी मनाई जावेगी, गुरुवार 28 सितम्बर को अनन्त चतुर्दशी एवं दशलक्षण समापन होने के बाद जिनालयों में श्री जी के कलश होगें शनिवार 30 सितम्बर को षोडशकारण समापन कलश एवं पड़वा ढोक क्षमा वाणी पर्व मनाया जावेगा, इस मौके पर वर्ष भर में जाने अनजाने में हुई त्रुटियों एवं गलतियों के लिए सभी धर्मावलंबी आपस में एक दूसरे से क्षमा मांगकर खोपरा मिश्री खिलायेगें। इस मौके पर समाज की वयोवृद्व रतनीदेवी सिंघल धर्म पत्नि रतनलाल सिंघल,सुरज्ञानी देवी कठमाणा, कांतादेवी उनियारा, सुनीता सांघी, संतोष देवी बावड़ी, सुशीला देवी बावड़ी, मैना देवी बावड़ी, मंजू बावड़ी, चित्रा गोधा, मीरां झंडा, संगीता कागला, सुनिता मोदी, तथा पूर्णिमा गोधा सहित सभी महिलाएं मोजूद थी।

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