अमित गोधा/ब्यावर। बिरदभवन में चल रहे पर्युषण पर्व आराधना के सातवें दिवस श्रमण संघीय चतुर्थ पट्टधर आचार्य शिवमुनि जी म.सा का जन्म महोत्सव एवं प्रवर्तक पन्नालाल जी म.सा. की जन्म जयंती तप त्याग के साथ मनाई गई। महासती धैर्यप्रभा ने बताया कि आचार्य भगवन की 82 वा जन्मदिवस हैं। उन्होंने आचार्य शिवमुनि के नाम के प्रत्येक अक्षर का अर्थ बताते हुए सभी को उनके जीवन से प्रेरणा लेने का उपदेश दिया। दिवाकर संघ मंत्री हेमन्त बाबेल ने बताया कि प्रवर्तक पन्नालाल जी म.सा. के जीवन को बताते हुए बताया कि उन्होंने 11 वर्ष की अल्पायु में मोतीलाल गुरुवर के सान्निध्य में संयम अंगीकार किया। वो भले जन्म से जैन कुल में उत्पन्न नही हुए पर उन्होंने जिस प्रकार जिनशासन की प्रभावना की वह अभूतपूर्व हैं। जिस प्रकार चौथमल गुरु का जन्म दीक्षा और देवलोक तीनो रविवार को हुआ उसी प्रकार पन्नालाल जी म.सा. का जन्म दिक्षा व देवलोक तीनो शनिवार को हुए। उन्होंने अपने जीवन में कभी भी किसी भी जीव में भेदभाव नही किया। स्वयं आचार्य आनन्दऋषि जी उन्हें वन्दन किया करते थे। हम सभी को उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। इस अवसर पर प्राज्ञ भवन में सामूहिक नीवी तप का आयोजन किया गया। मीडिया प्रभारी रूपेश कोठारी के अनुसार प्रवचन में महावीर भंडारी, प्रकाश बम्ब, रंजना, गुणमाला बोहरा, प्रियंका चोरडिया, मोनिका संचेती, पदमचंद बम्ब, कंचन बाई सिंघवी, महावीर चन्द नाहर आदि ने भी अपने विचार रख कर गुरु गुणगान किया। दिवाकर संघ अध्यक्ष देवराज लोढ़ा की पुत्रवधू पूर्णिमा लोढ़ा ने 30 उपवास (मासखमन) के प्रत्याख्यान ग्रहण किये। महासती धृतिप्रभा, धीरप्रभा एवं धार्मिक प्रभा ने भी गुरु गुणगान में “ये साधना, ये आराधना” गीत गाकर उपस्थित धर्मसभा को मन्त्र मुग्ध कर दिया। इस अवसर पर सभी श्रावक श्राविकाओं ने गुरु गुणगान के साथ एवं अंतगढ़ सूत्र वाचन के साथ पर्युषण के सातवें दिवस धर्म आराधना की। महासती के सान्निध्य में कई छोटी बड़ी तपस्याएं गतिमान हैं। गांधी आराधना भवन में भी चौबीस घण्टे का नवकार मन्त्र का जाप गतिमान हैं।