Friday, November 22, 2024

जैन धर्म के प्रथम दिगम्बर आचार्य युग प्रवर्तक शांतिसागर महामुनिराज का समाधि दिवस मनाया

ऐसी भावना भावे की हमारी भी उत्कृष्ट समाधि होवे: आर्यिका विशेष मति

जयपुर। जनकपुरी – ज्योति नगर जैन मन्दिर में रविवार को दिगंबर जैन धर्म के 20वीं सदी में पहले 1872 में दक्षिण भारत में जन्मे चारित्र चक्रवृत्ति आचार्य श्री 108 शान्ति सागर जी महाराज का समाधि दिवस बाल योगिनी आर्यिका श्री 105 विशेष मति माताजी के सानिध्य में मनाया गया। प्रबंध समिति अध्यक्ष पदम जैन बिलाला ने बताया की प्रातः अभिषेक शान्तिधारा के बाद आचार्य श्री के वृहत चित्र के समक्ष शान्तिधारा कर्ता राकेश जैन आकाशवाणी, ताराचन्द साख़ूनिया सहित भक्त जनों द्वारा दीप ज्योति प्रज्वलित की गई तथा उसके बाद पूजा के अर्घ्य श्रीफल तथा अष्ट द्रव्य सहित समर्पित किए गए। इसी समय विद्वान शिखर चंद जैन ने आचार्य श्री के बारे में बताया की आचार्य शान्तिसागरजी महाराज एक ऐसे प्रमुख साधु श्रेष्ठ तपस्वी रत्न हुए हैं, जिनकी अगाध विद्वता, कठोर तपश्चर्या, प्रगाढ़ धर्म श्रद्धा, आदर्श चरित्र और अनुपम त्याग ने धर्म की यथार्थ ज्योति प्रज्वलित की। आपके इन सब गुणों ने ही आपको चारित्र चक्रवर्ती का सम्मान दिया। आर्यिका विशेष मति माताजी ने अपने प्रवचन में कहा की यह निग्रन्थ श्रमण परम्परा आपकी ही कृपा से अनवरत रूप से आज तक प्रवाहमान है। आचार्य श्री ने कुन्थलगिरी में 36 दिन की सल्लेखना में केवल 12 दिन जल ग्रहण किया तथा भाद्र शुक्ला दोज रविवार 1955 को ॐ सिद्धोहं का ध्यान करते हुए युगप्रवर्तक आचार्यं श्री ने नश्वर देह का त्याग कर दिया। हमें भी संयम-पथ पर कदम रखते हुए उत्कृष्ट समाधि की भावना भानी चाहिए। कार्यक्रम में प्रबंध समिति महिला मण्डल युवा मंच सहित समाज के प्रबुद्ध सदस्यों की उपस्थिति रही।

- Advertisement -spot_img

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest article