गुंसी। भारत गौरव गणिनी आर्यिका 105 विज्ञाश्री माताजी ने प्रवचन सभा में भक्तों को संबोधन देते हुए कहा कि भारत देश विविध धर्मों एवं संस्कृतियों का संगम है और जहां संगम है वह पवित्र स्थान कहा जाता है। भारतीय धर्म एवं संस्कृति परंपरा को अक्षुण्ण बनाने के लिए पर्वों का महत्वपूर्ण स्थान है। यदि पर्वों का अस्तित्व नहीं होता तो लोक में धर्म एवं संस्कृति के बिना मानव जीवन संस्कार विहीन लुप्त हो जाता है। जैन दर्शन में पर्व धर्म भावना को वृद्धिंगत करने का अद्वितीय काम करते हैं। श्री दिगम्बर जैन सहस्रकूट विज्ञातीर्थ, गुन्सी के तत्वावधान में हनुमान सहाय शिवाड़ वाले निवाई वालों ने श्री 1008 शांतिनाथ महामण्डल विधान रचाया। मंडल पर 120 अर्घ्य चढ़ाकर भक्तिभावों के साथ मंगल आरती उतारी। आगामी 19 सितम्बर से चल रहे पर्वराज पर्युषण महापर्व पर श्री दशलक्षण महामण्डल विधान का आयोजन होगा। जबलपुर से कक्काजी ने गुरु माँ का वात्सल्य पूर्ण आशीष प्राप्त किया। आज की शान्तिधारा करने का सौभाग्य सुनील जैन चित्रकूट कॉलोनी जयपुर वालों ने प्राप्त किया।