सभी को आनंदित करे वह नंदः संतश्री हरिशरण
जयपुर। विद्याधर नगर स्थित शेखावाटी विकास परिषद में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में शनिवार को भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव नंदोत्सव का उल्लास छाया। इस मौके पर खचाखच भरे पांडाल में बैठे श्रद्धालुओं ने जन्म कृष्ण कन्हैया,सबको बहुत बधाई…. यशोदा मां के हुए लाल,बधाई सब मिल गाओ..नंद के आनंद भयो,जय कन्हैया लाल …जैसे बधाई गीतों के बीच नाच-गाकर खिलौने,मेवे व फल आदि की उछाल लूटी। इस दौरान परिषद का का चप्पा-चप्पा कान्हा के जन्म की खुशियों को मनाता नजर आया।
इस अवसर पर संत श्री हरिशरण जी महाराज जी ने कहा कि नंद वही है जो सभी को आनंदित करता है और यशोदा वही है जो सबको यश देती है। ऐसे नंद और यशोदा के घर में ही आनंदघन भगवान प्रकट होते हैं इसलिए अपने हृदय को हम सभी नंद और यशोदा का स्वरूप बनाएं जिससे हमारे घाट में ही भगवान प्रेम रूप से प्रगट हो जाए। उन्होंने आगे कहा कि सनातन धर्म के तीन मुख्य पहलू हैं पहला हम किसी की भी बुराई नहीं करो, दूसरा मेरा करके इस संसार में व्यक्तिगत कुछ भी नहीं है। तीसरा भगवान है, भगवान मेरे है। सृष्टि के रचयिता ने रचना के साथ ही एक कानून बनाया है कि तुम इस सृष्टि में बर्ताव करो,परंतु याद रखो जो तुम सृष्टि को दोगे, वही कई गुना होकर कालांतर में तुम्हारे प्रति स्वत होकर रहेगा,इसलिए हम जो बात संसार से अपने प्रति नहीं चाहते हैं वह संसार को न दें अर्थात हम बुराई रहित होकर रहे हैं, क्योंकि वह कई गुना होकर वापस लौट के आती है और भलाई करते रहे यही सनातन सत्य है। सनातन धर्म का मूल सूत्र है आइए हम इसे अपना कर कृतार्थ हो जाए।
महाराजश्रीने कहा कि प्रभु चरित्रों का श्रवण करने से प्रभु की कृपा अवष्य प्राप्त होती है। प्रभु के चरण कमल का स्मरण करने से सारे कष्ट नष्ट हो जाते है।जब प्रभु ने संसार में जन्म लिया, तब चारों ओर खुषियां छा गई, खुषी में लोग झूम रहे थे और कह रहे थे कि हमें पालने वाला आ गया। प्रभु की हर इच्छा व लीला को प्रसन्नता से स्वीकर करने वाला ही परम भक्त होता है। उन्होंने आगे कहा कि जब जीव ईष्वर तक पहुंचने में असमर्थ हो जाता है,तब ईष्वर ही जीव के स्तर पर उतरकर लौकिक लीलाएं करता है। यही परम एैष्वर्यवान ईष्वर का साधारणीकरण है। जब-जब इस धरती पर दुष्टों का अत्याचार बढ़ता है,तब-तब धर्म की रक्षा के लिए अवतारी पुरुष जन्म लेते है।
इस दौरान वामन अवतार प्रसंग पर महाराजश्री ने कहा कि ईष्वर विराट होते हुए भी भक्त के हित के लिए वामन अर्थात छोटे हो जाते है। वास्तव में बड़ा वही है जो विचार और कर्म से बड़ा है एैष्वर्य और पर में नहीं। उन्होंने यह भी कहा कि जीवन में कब क्या हा जाए,इसका कोई भरोसा नहीं है। सारे कार्य स्वयं के हिसाब से यह भी पता नहीं है।जो काम करने वाले होते है,वो कब करके निकल जाते हैं,पता ही नहीं चलता और जिनको काम करना नहीं होता,वो उस कार्य को ना करने के बहाने बनाते है। प्रवक्ता रामानंद मोदी ने बताया कि कथा 21 सितम्बर तक रोजाना दोपहर 2.30 बजे से शाम 7बजे तक होगी।