बच्चों को मिले धर्म के संस्कार तो परिवार में छाई रहेगी खुशियां अपार: समीक्षाप्रभाजी म.सा.
सुनील पाटनी/भीलवाड़ा। पर्युषण आत्मा को पावन एवं पवित्र बनाने का अवसर है। मानसिक शांति के बिना परिवार कभी खुशहाल नहीं हो सकता। अपने मन को हो नहीं घर को भी मंदिर माने। घर के सबसे वरिष्ठ सदस्य को परमात्मा स्वरूप मान प्रतिदिन उसके चरणस्पर्श अवश्य करें। नमस्कार या वंदन हमारी संस्कृति एवं परम्परा है जिसे कभी नहीं भूलना चाहिए। ये विचार भीलवाड़ा के चन्द्रशेखर आजादनगर स्थित रूप रजत विहार में शुक्रवार को मरूधरा मणि महासाध्वी श्रीजैनमतिजी म.सा. की सुशिष्या महासाध्वी इन्दुप्रभाजी म.सा. के सानिध्य में मधुर व्याख्यानी दर्शनप्रभाजी म.सा. ने पर्वाधिराज पर्युषण के चौथे दिन ‘‘खुशहाल परिवार जीवन का आधार’’ विषय पर प्रवचन के दौरान व्यक्त किए। पर्युषण के चौथे दिन दोपहर में साध्वी हिरलप्रभाजी म.सा. के कल्पसूत्र वांचन के दौरान भगवान महावीर स्वामी का जन्मोत्सव महासाध्वी इन्दुप्रभाजी म.सा. आदि ठाणा के सानिध्य में उल्लास के माहौल में मनाया गया। सुबह प्रवचन के शुरू में अंतगड़ सूत्र का वांचन आगम मर्मज्ञा डॉ. चेतनाश्रीजी म.सा. ने किया। दर्शनप्रभाजी म.सा. ने कहा कि हमारी जिंदगी बिना लक्ष्य की दौड़ बन गई है। यदि हम कमाने के लिए जी रहे है तो जिंदगी भर दौड़ते रहो संतुष्टि नहीं मिलेगी। जीने के लिए कमा रहे है तो सब मैनेज हो जाएगा। पहले घर छोटे ओर सदस्य ज्यादा होते थे फिर भी सभी प्रेम से साथ रहते थे। अब घर बड़े ओर सदस्य कम हो गए फिर भी शांति नहीं है। घर बड़े ओर दिल छोटे होते जा रहे है। पहले मकान कच्चे ओर रिश्ते पक्के होने से कभी वृद्धाश्रम शब्द ही नहीं सुना गया था। अब मकान पक्के ओर रिश्ते कच्चे होने से वृद्ध माता-पिता को भी संताने वृद्धाश्रम में भेजने में संकोच नहीं करती। उन्होंने कहा कि कोई भी संत कभी वृद्धाश्रम में बुर्जुगों को भेजने की प्रेरणा नहीं देगा। अपने माता-पिता को वहां भेजने वाले बेटा-बहु ये सोच ले कि कल उनका भी बुढ़ापा आएगा ओर उनकी संतान भी उनके साथ ऐसा करेगी तो क्या महसूस करेंगे। बेटियां अपने माता-पिता के समान अपने सास-ससुर का भी आदर-सम्मान करे ओर सास-ससुर अपनी बेटी के समान प्रेम बहु को भी दे तो वृद्धाश्रम की जरूरत ही नहीं रहेगी ओर परिवारों में खुशहाली का वातावरण हो जाएगा। प्रवचन में तत्वचिंतिका समीक्षाप्रभाजी म.सा. ने कहा कि घर में सुख-शांति का वातावरण चाहिए तो बच्चों को बचपन से ही धर्म से जोड़ना होगा। नींव ही कमजोर होंगी तो धर्म के संस्कार मजबूत कैसे होंगे। खुशहाल परिवार के लिए पांच बाते मुख्य आधार है। इनमें परिवार के साथ वक्त बिताना, एक-दूसरे से संवाद रखना ताकि समस्या का समाधान हो सके, परिवार के सदस्यों की तारीफ करते रहना, एक-दूसरे के प्रति विश्वास व समपर्ण भाव रखना, हर मुश्किल में एक-दूसरे का साथ निभाना। यदि हम ऐसा कर पाएंगे तो हमारे परिवार से खुशियां कभी गायब नहीं होगी। उन्होंने कहा कि बच्चों को धर्म संस्कारों से जोड़ने के लिए नियमित 27 या 9 नवकार मंत्र का जाप घर में सामूहिक रूप से अवश्य हो। जाप के अंत में मांगलिक हो जो भी एक महत्वपूर्ण मंत्र है।
ऐसी चुंदड़ लाना भैया मेरे लिए आप, जिसे ओढ़ मुझे होए कैवल्य ज्ञान
धर्मसभा में तरूण तपस्वी हिरलप्रभाजी म.सा. ने कहा कि जिस परिवार में खुशी का वातावरण हो वहां प्रेम बरसता है। ढंग से जीना सीख जाए तो गृहस्थ जीवन भी कम महत्वपूर्ण नहीं होता है। भगवान ने चार जीवित तीर्थ साधु-साध्वी व श्रावक-श्राविका बनाए है। ये जीवित तीर्थ ही पत्थर के तीर्थ को संभालेंगे। परमात्मा महावीर ने कहा कि हम अपने जीवन काल में कम से कम एक तीर्थ अवश्य बनाए यानि हमने किसी एक व्यक्ति को भी प्रभु परमात्मा की भक्ति से जोड़ दिया तो वह जीवित तीर्थ बनाना हो जाएगा। उन्होंने पर्युषण के चौथे दिन चुंदड़ी पर्व का महत्व बताते हुए आदर्श सेवाभावी दीप्तिप्रभाजी म.सा. के साथ मिलकर भजन के माध्यम से बताया कि बहन भाई से किस तरह की चुंदड़ लाने की कामना करती है। उन्होंने भजन ‘‘ऐसी चुंदड़ लाना भैया मेरे लिए आप, जिसे ओढ़ मुझे होए कैवल्य ज्ञान, बड़ा उपकार होगा बड़ा अहसान होगा’’ की प्रस्तुति दी तो पूरा माहौल धर्म व भक्ति रस से सराबोर हो गया। धर्मसभा में लक्की ड्रॉ के माध्यम से 11 भाग्यशाली श्रावक-श्राविकाओं को पुरस्कृत किया गया। पर्युषण के चौथे दिन प्रार्थना के बाद विनयजी कावड़िया, प्रवचन के अंत में प्रवीणजी बोहरा, एवं नवकार मंत्र जाप में पारसजी छाजेड़़ परिवार की ओर से प्रभावना का वितरण किया गया। धर्मसभा का संचालन युवक मण्डल के मंत्री गौरव तातेड़ ने किया। अतिथियों का स्वागत श्री अरिहन्त विकास समिति के अध्यक्ष राजेन्द्र सुकलेचा एवं पदाधिकारियों द्वारा किया गया। धर्मसभा में भीलवाड़ा शहर व आसपास के विभिन्न क्षेत्रों से पहुंचे सैकड़ो श्रावक-श्राविकाएं मौजूद थे।
छाई महावीर जन्म की खुशियां, उल्लास व भक्ति के माहौल में दी बधाईयां
महासाध्वी इन्दुप्रभाजी म.सा. आदि ठाणा के सानिध्य में रूप रजत विहार में श्री अरिहन्त विकास समिति के तत्वावधान में मनाए जा रहे पर्युषण पर्व के तहत शुक्रवार दोपहर में भगवान महावीर स्वामी का जन्मोत्सव उल्लास के माहौल में मनाया गया। साध्वी हिरलप्रभाजी म.सा. द्वारा कल्पसूत्र वाचन किया जा रहा है। इसके तहत भगवान महावीर जन्मप्रसंग का वाचन होने के साथ भक्ति व उत्साह के माहौल में जन्मोत्सव मनाया गया। उन्होंने भगवान महावीर जन्म प्रसंग सुनाया। इसके बाद श्रीसंघ द्वारा महावीर जन्मकल्याणक उत्सव मनाया गया। जन्म के बाद पालने में शिशु वर्धमान को झुलाने के लिए भक्तों में होड लग गई। राजसी वेशभूषा में इस तरह जन्मोत्सव का मंचन हुआ कि रूप रजत विहार कुण्डलपुर नगरी प्रतीत हुआ। भगवान महावीर का जन्म होते ही बजे कुण्डलपुर में बधाई कि नगरी में वीर जन्में महावीरजी जैसे भजन प्रस्तुत करते हुए बधाईयां दी गई। श्रावक-श्राविकाएं महावीर भक्ति के रंग में डूब गए। राजसी पालने में भगवान महावीर को झूला झुलाने की होड लग गई। इस आयोजन को सफल बनाने में सुश्राविका सुनीता सुकलेचा, सपना तातेड़ के साथ श्री अरिहन्त विकास समिति के अध्यक्ष राजेन्द्र सुकलेचा एवं अन्य पदाधिकारियों की भूमिका अहम रही।
अंतगड़ दशांग सूत्र के मूल पाठ का वाचन एवं विवेचना
पर्युषण के चौथे दिन सुबह 8.30 बजे से अंतगड़ दशांग सूत्र के मूल पाठ का वाचन एवं विवेचना पूज्य आगममर्मज्ञा डॉ. चेतनाश्री म.सा. के मुखारबिंद से हुई। उन्होंने पंचम वर्ग के चार सूत्र तक वाचन किया। इस दौरान उन्होंने मुनि गज सुकुमाल से जुड़े प्रसंग का वर्णन करने के साथ किस प्रकार मदिरा, अग्नि एवं द्विपायन ऋषि का कोप वासुदेव कृष्ण की द्वारिका नगरी के विनाश का कारण बनते है। बलभद्र एवं श्रीकृष्ण को छोड़ पूरे यदुवंश का नाश हो जाता है। उन्होंने कहा कि बुरे कर्म करने वाला बचने का प्रयास करता है लेकिन कतार बनकर ये कर्म पीछे-पीछे आने से किसी भी हाल में बच नहीं सकते।
पर्युषण में चल रहा तप साधना का दौर
पर्युषण पर्व में रूप रजत विहार में जप, तप व साधना का ठाठ लगा हुआ है। किशनगढ़ से आई सुश्राविका निमिषा कोठारी ने शुक्रवार को 7 उपवास के प्रत्याख्यान लिए। कई श्राविकाओं ने शुक्रवार को चार उपवास के प्रत्याख्यान लिए। इसी तरह कई श्रावक-श्राविकाओं ने तेला, बेला, उपवास, आयम्बिल, एकासन के भी प्रत्याख्यान लिए। पर्युषण के दौरान कई श्रावक-श्राविकाओं ने उपवास, आयम्बिल व एकासन की अठाई करने की भावना रखते हुए कूपन भी लिए है। इस तरह कई श्रावक-श्राविकाएं दिन में 15-18 सामायिक की धर्मसाधना भी रूप रजत विहार में ही कर रहे है। पर्युषण में अखण्ड नवकार महामंत्र जाप चौथे दिन शुक्रवार को भी जारी रहा। जाप शुरू होने के बाद श्रावक-श्राविकाएं निरन्तर अपने तय समय पर नवकार महामंत्र की आराधना करने में जुटे हुए है।
प्रतियोगिताओं के माध्यम से धर्म का संदेश
अष्ट दिवसीय पर्युषण पर्व में प्रतिदिन अलग-अलग दिवस मनाने के साथ प्रतिदिन दोपहर 3 बजे से धार्मिक भावना से ओतप्रोत प्रतियोगिताएं हो रही है। इनके माध्यम से भी भाग लेने वालों को धर्मसंदेश देने के साथ जिनशासन से जोड़ने का प्रयास हो रहा है। इसके तहत चौथे दिन शुक्रवार को तीर्थंकर के नाम खोजो प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इसमें श्राविकाओं ने उत्साह से भाग लिया। प्रतिदिन प्रतियोगिता के तहत 16 सितम्बर को हाव-भाव प्रतियोगिता, 17 को जैन हाउजी, 18 को दिमागी कसरत (लिखित) प्रतियोगिता होगी।
हर दिन धर्म-समाज के महत्वपूर्ण अलग-अलग विषयों पर प्रवचन
पर्युषण पर्व के तहत साध्वीवृन्द द्वारा प्रतिदिन धर्म व समाज के लिए प्रासंगिक अलग-अलग विषयों पर प्रवचन दिए जा रहे है। इसके तहत पर्युषण पर्व में चौथे दिन प्रवचन का विषय खुशहाल परिवार जीवन का आधार रहा। इसी तरह पर्युषण के पांचवे दिन 16 सितम्बर को आधुनिक नहीं आध्यात्मिक बने, 17 को नशा नाश का कारण, 18 को वाणी को मधुर कैसे बनाएं विषय पर प्रवचन होंगे। संवत्सरी पर 19 सितम्बर को मैत्री दिवस एवं सामूहिक क्षमायाचना विषय पर प्रवचन होंगे। पर्युषण पर्व के दौरान ही 17 सितम्बर को पूज्य प्रवर्तक पन्नालालजी म.सा. की 135वीं जयंति पर भिक्षु दया का आयोजन किया जाएगा। इसी तरह 18 सितम्बर को श्रमण संघीय आचार्य सम्राट डॉ. शिवमुनिजी म.सा. की जयंति पर ध्यान साधना का आयोजन कराया जाएगा।