सुनिल चपलोत/चैन्नई। पर्यूषण आत्मा की सुरक्षा जीवन की रक्षा का पर्व है। गुरूवार साहूकार पेठ पयूर्षण के तृतीय दिवस महासती धर्मप्रभा ने पयूर्षण मे जप, तप करने वाले सभी श्रध्दांलूओ को सम्बोधित करते हुए कहा कि यह महापर्व आत्मिक उज्ज्वलता का पर्व है।और हमारी आत्मा के अवलोकन का दिन है,भीतर में झांकने का पर्व है। इस मे संसार मे हमारी आत्मा ने अनंत बार अनेक जीव योनियों मे जन्म लेकर भी आत्मा मुक्ति का मार्ग नहीं प्राप्त कर पाई है। पयूर्षण पर्व हमारी आत्मा को भीतर की ओर मुड़कर देखने की बात सिखाता है जब तक हम अंतर की गहराई से स्वंय को जानेगे नही तब हमारी आत्मा को पहचान नहीं सकते है पर्यूषण ही एक ऐसा पर्व है जो हमारी सोई हुई आत्मा को जगाता है और हमे अहसास दिलाता है संसारा असार है और मोह का माया जाल है। हम बार सुख की खोज कर रहे है जबकि सुख हमारे भीतर मे छुपा हुआ है। निस्वार्थ होकर हम तप तप और परमात्मा की उपासना और आराधना करते है और अपनी गलतियां की पुनारवर्ती नहीं दोहरायें तो हम अपनी इस आत्मा संसार पर भ्रमण से मुक्ति दिला लेगें। साध्वी स्नेहप्रभा ने अंतकृतदशा सूत्र का वांचन करते हुए कहा कि पयूर्षण पर्व साधना की वो कसौटी है जिससे इंसान अपने मानव को सार्थक बना सकता है। जीवन मे सुखो को भोग करके भी अपनी इस आत्मा को मुक्ति दिला सकता है। साहूकार पेठ श्री संघ के कार्याध्यक्ष महावीर चन्द सिसोदिया ने बताया की पयूर्षण के तीसरें दिन चैन्नई महानगर के अनेक उपनगरों के श्रावक श्राविकाओं की उपस्थिति रही इसदौरान अनेक बहनो और भाईयो ने 6 उपवास पांच,तीन और दो उपवास के साध्वी धर्मप्रभा से प्रत्याख्यान लिए थे। बड़ी तपस्या करने वाले तपस्यार्थीयो का श्री एस. एस.जैन संघ के अध्यक्ष एम.अजितराज कोठारी, महामंत्री सज्जन राज सुराणा,देवराज लुणावत, पदमचन्द ललवाणी,सुरेश डूगरवाल,माणकचन्द खाबिया,शांति लाल दरड़ा, हस्तीमल खटोड़,महावीर कोठारी,जितेन्द्र भंडारी, बादलचन्द कोठारी,अशोक कांकरिया, शम्भू सिंह कावड़िया,अशोक सिसोदिया रमेश दरडा,तारेश बेताला आदि सभी ने तपस्वीयो का बहूमान किया।दोपहर नवकार महामंत्र एवं तिक्खुतो की प्रतियोगिता रखी गई। प्रतियोगिता मे भाग लेने वाली बहनों को पारितोषिक दियें गये। इसदौरान चौविहार भोजन प्रसादी मे आठ सौ से अधिक श्रध्दांलूओ ने भोजन प्रसाद लिया।