Saturday, November 23, 2024

अपने से छोटो के लिए कमाना नौकरी है और अपने से बड़ो के लिए कमाना पूजा है: निर्यापक मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी महाराज

आगरा। आगरा के हरीपर्वत स्थित श्री शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर के अमृत सुधा सभागार में निर्यापक मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी महाराज ने मंगल प्रवचन को संबोधित करते हुए कहा कि कुछ यह व्यक्ति स्वयं उपादान से कमाता है कुछ यश ऐसे होते है जो निमित्त के आधीन होते है। आत्म कल्याणी सुख जो होता है वह उपादान के कमाए हुए यश से होता है, गुणों से प्रकट होता है और उस गुणों को जैसे जैसे प्रकट होता जाता है वैसे वैसे आनंद बढ़ता जाता है। उसे कोई छीन नही सकता है, उसे कोई गौण नही कर सकता वो हमारी स्वयं की संपदा है। इसी की प्रसंशा पूज्य कुन्दकुन्द भगवान ने अपने अध्यात्म ग्रंथों में की है कि यदि तुम अपने दृष्टि में ऊपर उठना चाहते हो तो अपने पर दृष्टि रखो। यदि तुम निर्दोष होना चाहते हो तो अपनी निर्दोषता पर विचार करो, उसी का मनन करो, उसी का आचरण करो वही तुम्हारी आत्मा की संपदा होगी। दुनिया से मत पूछो कि मैं कैसा हूँ,तुम अपने आप से निर्णय करो कि मैं कैसा हूँ। जब व्यक्ति अपनी निर्दोषता दुसरो के आधीन रखता है बस समझ लेना चाहिए वह सबसे बड़ा बेईमान है। पहले अपनी आपकी दृष्टि में बताओ तुम क्या हो, यदि अच्छे हो तो आनंद लो उस अच्छाई का। ज्ञान एक समय को नही रुकता, कुछ न कुछ जानता ही है। अब उसे क्या जानना है ये निर्णय ज्ञान का नही है। ज्ञान में आनंद नही है ज्ञाता में आनंद है, धन में आनंद नही है,धनी में आनंद है,धन तो सबसे ज्यादा बैंक मैनेजर के पास होता है लेकिन उसको नौकरी का आनंद आता है, धनी का नही। धन पा लेने के बाद भी धन का आनंद नही आ रहा है क्यों हमने धन तो पा लिया लेकिन धनी नही बन पाए। जो भविष्य जानने की रुचि रखते है वो ही सबसे ज्यादा टेंशन का कारण बनता है, अरे कल मरेंगे तो मरेंगे, आज तो जिंदा का आनंद लो न। आज का दिन सुखमय है तो कल का दिन भी सुखमय ही होगा। आज का दिन तीनो कालो को शुद्ध करता है। वर्तमान में जो अपनी दशा है इसका निर्णय मिलता है कि अतीत में हम क्या थे। वर्तमान बता रहा है हम दुखी है हमने अतीत में कुछ खोटा किया है। वर्तमान अतीत का प्रमाणपत्र है और भविष्य का घोषणा पत्र है। वर्तमान में तुम दुखी हो मतलब अतीत के तुम गलत आदमी थे। जिस जिस चीज से अपन परेशान है, वो वो खोट अपने मे थी और वर्तमान में जो हम कर रहे है भविष्य का घोषणा पत्र है।ध्वजा मन्दिर की पहचान है मन्दिर नही इसी तरह ज्ञान आत्मा की पहचान है स्वभाव नही, स्वभाव है हमारा ज्ञाता,ज्ञायकपना। जैन परिवार नियोजन की बात अरे असम्भव असंभव,असंभव। या तो पूर्व भव का पापी है या आगे होने वाला है। हो नही सकता,क्यों कराये क्योंकि जैनी के यहाँ जितने बच्चे जन्मेगे देश का उद्धार,समाज का उद्धार,धर्म का उद्धार,शाकाहारी बनेगा,भगवान का भक्त बनेगा, दीक्षा ले लेगा,व्रत ले लेगा। अरे परिवार नियोजन वो कराये जिनके कुल, जिनकी जाति, जिनके लोग पापी है, मांसाहारी है क्योंकि जितने पैदा होंगे उतना मांसाहार बढ़ेगा। कोई शराबी, जुआरी, नीचकुल,जिनके अंधे काम होते है, डाकू-डकैत आदि है ये यदि परिवार नियोजन कराते है तो ठीक है क्योंकि डाकुओं के डाकू ही पैदा होंगे, मांसाहारी के मांसाहारी पैदा होंगे। 99% बच्चो में अपने कुल और परिवार का संस्कार आता है। तुमने एक बेटे को नही रोका है एक बेटे की हत्या नही की है एक मुनि की, बिटिया की है तो एक आर्यिका की,प्रतिमाधारी व्रती की, एक भगवान के भक्त की और एक शाकाहारी की हत्या की है। पशुओ और मनुष्यों में इतना ही अन्तर है, बच्चो के लिए तो पशु भी पालता है लेकिन वो अपने माँ-बाप की सेवा नही करता है और मनुष्य बच्चो को भी पालता है और माँ-बाप की भी सेवा करता है। जो जो व्यक्ति बड़े होने के बाद माँ-बाप को छोड़ देते है, अलग हो जाते है या अलग कर देते है ये पशुओ में से आये है या पशुओ में जाने की तैयारी है क्योंकि जन्म लेने के बाद मात्र पशुओ पक्षियों में ये व्यवस्था है। जन्म लेने के बाद उसकी सुरक्षा की और बड़े होने के बाद भूल जाते है कि मेरे मम्मी पापा कौन है। और मनुष्य के लिए सबसे बड़ा गुण है कि माँ-बाप को कभी भूलता नही है मरण के बाद भी वो दीपक जलाता है। जिससे जन्म ले लिया हो, दूध पिया हो माँ का, पिता से तुम्हारा पालन करके पैर पर खड़े हो गए हो तो चाहे कैसा भी दुष्ट क्यों न हो उसको छोड़ना नही, उसको भूलना नही,उसी के लिए जीना है, उसी के लिए कमाना है सब कुछ तुम्हारा उसी के लिए है तो जाओ एक दिन तुम साक्षात तीर्थंकर जैसे पिता को पाओगे और उनकी गोदी में खेलोगे। तुम माँ-बाप के लिए जियो, सबकुछ पूज्य पुरुषों के लिए। अपने से छोटो के लिए कमाना नौकरी है और अपने से बड़ो के लिए कमाना पूजा है। धर्मसभा से पूर्व गुरुदेव का पाद प्रक्षालन सौभाग्य शाली भक्तों ने किया साथ ही संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के चित्र का अनावरण एव दीप प्रज्जवलित करने का सौभाग्य मोहन स्वरूप विशाल जैन,रॉबिन जैन नूतन जैन आगरा और नरेंद्र जैन फर्नीचर वाले, के जैन चाबी वाले, अनिल जैन शास्त्री, रूपेश जैन को मिला| साथ ही पुण्यार्जक परिवारों की महिलाओं ने गुरुदेव के समक्ष जिनवाणी भेंटकर मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया| धर्मसभा का संचालन मनोज जैन बाकलीवाल ने किया साथ ही गुरुवर के मंगल प्रवचनों से पूर्व सुषमा जैन विजय नगर महिला मंडल द्वारा मंगलाचरण की प्रस्तुति दी| इस दौरान शाम को जिज्ञासा समाधान कार्यक्रम में केंन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री एस.पी.सिंह बघेल जी ने निर्यापक मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी महाराज जी का मंगल आशीर्वाद लिया और वही श्री दिगंबर जैन धर्मप्रभावना समिति के पदाधिकारियों ने दुपट्टा एवं माला पहनकर सम्मानित किया,तो वही केंन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री एस.पी.सिंह बघेल जी ने अंगदान के बारे में बताया कि 16 सितम्बर को स्थानीय राजकीय इंटर कॉलेज मैदान पर आयोजित “अंग -प्रत्यार्पण “कार्यक्रम का समर्थन कर बड़ी संख्या मे रजिस्ट्रेशन कराएँगे और कार्यक्रम को सफल बनाएं। इस अवसर पर धर्मसभा में प्रदीप जैन पीएनसी निर्मल मोठ्या, दिलीप जैन, मनोज जैन बाकलीवाल,अमित जैन बॉबी, पंकज जैन सीटीवी, पन्नालाल बैनाड़ा, हीरालाल बैनाड़ा, ज‌‌गदीश प्रसाद जैन, अनंत जैन, जितेंद्र जैन, राजेश सेठी, राजेश बैनाड़ा, शैलेन्द्र जैन, विवेक बैनाड़ा, अनिल जैन शास्त्री रूपेश जैन, केके जैन, नरेंद्र जैन, मीडिया प्रभारी शुभम जैन, राहुल जैन, प्रवीण जैन नेताजी, दीपक जैन बोतल वाले, सचिन जैन, अंकेश जैन, समस्त सकल जैन समाज आगरा के लोग बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
शुभम जैन, मीडिया प्रभारी

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